अपने काम को ना आने दें खुद के और बच्चे के बीच

बच्चे को उसकी मां की ज़रूरत 26 सप्ताह के बाद भी होती है। इसलिए अपने काम को खुद के और बच्चे के बीच ना आने दें। 

Working woman and child big

आपने कई बार न्यूज में ऑस्ट्रेलिया की सांसद लैरिसा वॉटर्स का नाम सुना होगा। ये पहली बार चर्चा में तब आईं थी जब इन्होंने चलती हुई संसद में अपने बेबी को दूध पिलाया था। अभी अगस्त में भी ये फिर चलती हुई संसद में अपने बेबी को दूध पिलाया। ये दूसरा मौका था। कितना सही है ना ये... काम करते हुए बच्चे को दूध पिलाना। इससे ना बच्चे को आपकी कमी महसूस हुई, ना आपका काम डिस्टर्ब हुआ।

खैर भारत में ये इतनी बड़ी खबर नहीं बन पाई थी लेकिन विदेशों के मीडिया में ये खबर काफी छाई रही। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया की संसद के विपक्ष के नेता ने भी संसद में बेटी को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए तारीफ की थी। 2016 से पहले ऑस्ट्रेलिया की संसद में महिला सांसदों को बच्चों को साथ ले जाने की इजाजत नहीं थी। साल 2009 में जब सारा हैन्सन यंग अपने 2 साल के बच्चे को संसद लेकर गई थीं तो उनके बच्चे को संसद के अंदर ले जाने के लिए नहीं दिया गया। ऑस्ट्रेलिया ने फरवरी 2016 में फैमली फ्रेंडली कानून पारित कर संसद बच्चों को संसद में ले जाने की इजाजत दी। काश... ऐसा ही हर जॉब में हो तो... इससे आपका काम आपके और बच्चे के बीच नहीं आ पाएगा।

Larisa inside image

आईसलैंड की महिला सांसद भी करा चुकीं हैं संसद में ब्रेस्टफीडिंग

संसद में अपने बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली लैरिसा पहली महिला नहीं है। अक्टूबर 2016 में आईसलैंड में भी ऐसा हो चुका है। वहां की महिला सांसद उन्नुर ब्रै कॉनरॉसदॉत्तिर ने अपने 6 months के बेबी को ब्रेस्टीफीडिंग कराया था। तब संसद में वोटिंग प्रक्रिया चल रही थी और उन्होंने भाषण भी दिया था। वहां भी सारी पार्टियों ने उनकी इस काम के लिए तारीफ की थी।

दरअसल वोटिंग प्रक्रिया के दौरान जब उन्नुर की बारी आई तो वो बच्चे को दूध पिला रही थी। ऐसे में उनकी एक महिला साथी ने बच्चे को अपनी गोद में लेना चाहा। तो उन्नुर ने ये बच्चे को ये कहकर देने से मना कर दिया कि, "ऐसा करने पर बेबी रोने लगेगा जिससे संसद के काम में ज्यादा खलल पड़ सकता है।"

बेबी क्रेच की मांग करें

कई ऑफिस में बेबी क्रेच की सुविधा होती है। लेकिन जिन ऑफिस में इसकी सुविधा ना हो तो वहां की women employee मिलकर इस सुविधा की मांग कर सकती हैं। जिससे की उनका काम, उनके और बेबी की बीच ना आ पाए।

फिलहाल भारत में लैरिसा और उन्नुर जैसे एक्ज़ाम्पल मिलने मुश्किल हैं क्योंकि नवंबर 2016 में जब आरजेडी की राज्यसभा सांसद मीसा भारती अपने बच्चे को संसद के अंदर ले जाना चाहती तो उन्हें मना कर दिया गया। ऐसे में उन्हें अपने बच्चे को पति शैलेश के साथ पार्टी के कमरे में ही छोड़ना पड़ा। उस समय ये सवाल उठा था कि, "क्या भविष्य में भारत में भी ऑस्ट्रेलिया या आइसलैंड जैसी तस्वीर देखने को मिलेगी?" आज जब भारत में women empowerment पर इतनी बातें होती हैं और देश की महिला नीति पर 15 साल बाद दोबारा विचार चल रहा है तो महिला और बाल कल्याण मंत्रालय को एक बार इस बारे में ज़रूर सोचना चाहिए।

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