आखिर क्यों जरूरी है दूध को उबालना?

डेयरी से दूध लाते ही हम बिना किसी के कहे उसे उबालने के लिए रख देते हैं। दूध को उबालने से उसके न्यूट्रिशन वैल्यू पर भी फर्क पड़ता है। दूध पीने से पहले उसे उबालना जरूरी है या नहीं, यह इस आर्टिकल में विस्तार से जानिए।

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पोषण से भरपूर दूध पीना हमारी हड्डियों और मांसपेशियों के लिए जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि दूध पीने से हमें कैल्शियम मिलता है, जो हमारी हड्डियों के लिए जरूरी है। इसके अलावा भी दूध के कई फायदे गिनवाए जाते हैं। लेकिन आज दूध पीने के फायदे नहीं, बल्कि हम यह जानेंगे कि इसे उबाला क्यों जाता है।

दूध का पैकेट घर आते ही, हम सबसे पहला काम उसे उबालने का करते हैं। क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है या ऐसा करना क्यों जरूरी है? दूध उबालने के बाद उसकी न्यूट्रिशन वैल्यू में भी बदलाव आता है और ऐसा कहा जाता है कि बॉयल्ड मिल्क के मिनरल्स और विटामिन्स टूट जाते हैं। कच्चे दूध और पैश्चुराइज्ड दूध में भी अंतर होता है। ये अंतर क्या है और दूध उबालना क्यों जरूरी है, आइए जानें।

कच्चा और पेश्चुराइज्ड दूध में अंतर क्या है?

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कच्चा दूध हम लोग डेयरी से लेते हैं। यहां सीधा गाय और भैंस का दूध हमें मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तरह के दूध में बैक्टीरिया मौजूद होते हैं,इसलिए उसे उबालना आवश्यक है। दूध को उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया दूर हो सकते हैं।

वहीं, पेश्चुराइज्ड दूध हमें पैकेट में मिलता है और यह प्रोसेसिंग के कई सारे लेवल से गुजरकर हम तक पहुंचता है। पेश्चुराइजेशन प्रोसेस के बाद दूध के बैक्टीरिया और अन्य ऑर्गेनाइज्म दूर होते हैं, जो पीने के लिए ठीक होता है। हालांकि, हम इस पैकेट वाले दूध को भी गर्म करते हैं।

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क्यों जरूरी है दूध को उबालना?

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेंशन की एक स्टडी में बताया गया है कि गाय के दूध को 95°C तापमान पर उबालना चाहिए। इसका मतलब है कि यदि आपक इसे किसी ऐसी रेसिपी में डाल रहे हैं, जो आगे पकानी है, तो यह कुकिंग प्रोसेस के दौरान ही बॉयलिंग पॉइंट पर पहुंचेगा। जैसा कि हमने आपको बताया कि दूध उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं और फूडबोर्न बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं (दूध में कभी नहीं मिलानी चाहिए ये चीजें)।

अमेरिका में, दूध को पेश्चुराइज्ड किया जाना जरूरी है। इसका मतलब यह नहीं है कि इसे हमेशा उबाला जाता है, बल्कि इसे किसी भी हानिकारक रोगजनकों को मारने के लिए पर्याप्त हाई टेंपरेचर, जो 71.7°C है, पर 15 सेकंड के लिए गर्म किया जाता है। इस प्रकार, आपको सुरक्षा कारणों से दूध को उबालने की जरूरत नहीं है, जब तक कि वह कच्चा, बिना पेश्चुराइज्ड दूध न हो।

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उबाले हुए दूध के न्यूट्रिशन लेवल में होते हैं ये बदलाव

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ऐसा माना जाता है कि दूध उबालने से दूध का न्यूट्रिशन लेवल काफी कम हो जाता है। कच्चे दूध से बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं, वहीं इससे व्हे प्रोटीन का स्तर भी काफी कम हो जाता है।

दूध में लगभग 80% प्रोटीन कैसिइन से होता है, जबकि व्हे लगभग 20% होता है। दूध में कैसिइन बॉलिंग पॉइंट तक गर्म करने पर भी काफी स्थिर रहता है। हालांकि, व्हे प्रोटीन को गर्म करने से दूध के बॉयलिंग पॉइंट तक पहुंचने से पहले ही इसका स्ट्रक्चर बदल जाता है।

दूध में प्राइमरी कार्बोहाइड्रेट लैक्टोज होता है और यह हीट के प्रति संवेदनशील होता है। जब आप दूध उबालते हैं, तो कुछ लैक्टोज, लैक्टुलोज नामक न पचने योग्य चीनी और अन्य यौगिकों में बदल जाता है।

अगर आप कच्चा दूध ले रहे हैं, तो उसे जरूर उबालें, लेकिन पैकेट वाले दूध को 10 मिनट से ज्यादा गर्म नहीं करना चाहिए। आप जब भी इसका इस्तेमाल करें, दूध को बस कुछ मिनट पहले गर्म करें। हमें उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करें और ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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