तीज-त्योहार भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं, जो धर्म-कर्म के साथ ही व्यवहारिक जीवन से जुड़े होते हैं। बात होली की ही कर लें तो हर्षोल्लास से संपूर्ण यह त्योहार जीवन को समृद्ध बनाता है। इस त्योहारों के दौरान निभाई जाने वाली ज्यादातर रस्मे जीवन को उन्नत बनाने में सहयोगी होती हैं। जैसे कि होलिका दहन की रात आग में गेहूं की बालियां भूनकर उसे प्रसाद के रूप में खाने की परंपरा का भी अपना महत्व है।
गौरतलब है कि गेहूं की भुनी हुई बालियां गांवों में आम दिनों में भी खाई जाती हैं, पर होलिका दहन के मौके पर परंपरा के रूप में इसका पालन विशेष तौर पर किया जाता है। वैसे परंपरा से अलग भी देखा जाए तो भुना हुआ गेहूं असल में सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह डायबिटीज से लेकर कैंसर जैसे घातक रोगों से बचाव करता है।
इस आर्टिकल में हम आपको भुने गेहूं के सेवन से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। दरअसल, हमने इस बारे में लखनऊ के जनरल फिजिशियन डॉ. बृजेंद्र सिंह से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
डॉ. बृजेंद्र सिंह कहते हैं कि भुने हुए गेहूं में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही भुने हुए गेहूं में जिंक, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे मिनरल्स और जरूरी विटामिन अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में इसके सेवन से न सिर्फ शरीर सेहतमंद रहता है बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी सुरक्षा भी होता है।
पाचन संबंधी समस्याओं से राहत
भुने हुए गेहूं में मौजूद हाई फाइबर पाचन के लिए बेहद फायदेमंद होता है, इसे पचाने में आसानी होती है। इसलिए पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता है और पाचन सुचारू रूप से चलता है। ऐसे में जिन लोगों को अपच, एसिडिटी या पेट से जुड़ी दिक्कतें रहती हैं उनके लिए भुने हुए गेहूं का सेवन खास तौर पर लाभकारी हो सकता है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए रामबाण
भुने हुए गेहूं में मौजूद फाइबर, डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके सेवन से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है और डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति की परेशानी कम होती है।
वजन कम करने में सहायक
भुने हुए गेहूं का सेवन वजन कम करने में भी काफी हद तक सहायक माना जाता है। फाइबर की अधिकता के कारण यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को आसानी से बाहर निकालता है और वसा का संचय कम करता है। ऐसे में अगर नियमित रूप से भुने हुए गेहूं का सेवन किया जाए तो इससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है।
कैंसर से बचाव में मददगार
भुना हुआ गेहूं, कोलन कैंसर से बचाव में मददगार माना गया है। गौरतलब है कि कोलन कैंसर आंत और पाचन अंगों को प्रभावित करता है, ऐसे में अगर पाचन तंत्र सुचारू रूप से काम करे तो कोलन कैंसर का जोखिम कम हो सकता है। चूंकि भुना हुआ गेहूं पाचन को मजबूत करता है, इसलिए कोलन कैंसर और पाचन से जुड़े गंभीर रोगों का जोखिम कम करने में भी यह सहायक साबित होता है।
दिल की सेहत के लिए फायदेमंद
साबुत अनाज के तौर पर भुने हुए गेहूं में फाइबर के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो दिल की सेहत के लिए लाभकारी होता है। इसलिए अगर नियमित रूप से भुने गेहूं का सेवन किया जाए तो इससे स्ट्रोक और दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
ऐसे करें भुने गेहूं का सेवन
बता दें कि हिमाचल और पहाड़ी क्षेत्रों में भुने गेहूं का सेवन नाश्ते के रूप में किया जाता है। इसका लाभ पाने के लिए आप भी इसे नाश्ते या स्नैक्स के रूप में ले सकते हैं। इसे तैयार करने के लिए आप लोहे की कड़ाही या तवे पर गेहूं के दाने हल्की अच्छी तरह से भुनें। आप चाहें तो उसमें सूखे मेवे भी डाल सकते हैं, इससे एक हेल्दी स्नैक्स बनकर तैयार हो जाएगा।
हालांकि भुने हुए गेहूं का अधिक सेवन हानिकारक भी हो सकता है, फाइबर की अधिकता के कारण इससे दस्त या पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए सेवन के समय इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें।इसका सेवन शुरू करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह लें सकते हैं, वो आपके शारीरिक परीक्षण के आधार पर बता पाएंगे कि आपके लिए भुना गेहूं वास्तव में लाभकारी है या नहीं।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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