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दवा की तरह काम करता है टेस्‍टी सांबर, कोलोन कैंसर को रखता है दूर

सांबर सिर्फ मसाला नहीं है बल्कि कार्सिनोजेन के विकास को रोकता है। जी हां अगर आप कोलोन कैंसर से बचना चाहती हैं तो अपनी डाइट में सांबर को शामिल करें।
Editorial
Updated:- 2019-03-24, 11:30 IST

कोलोन कैंसर को जिसे हम बड़ी आंत के कैंसर के नाम से भी जानते है। यह कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला दूसरा आम कैंसर है। कोलोन कैंसर के संभावित कारणों में आनुवांशिक कारण भी शामिल है। इसके अलावा स्‍मोकिंग, रेड मीट और जंक फूड्स इस कैंसर के खतरे को बढ़ाते है। लगातार लंबे वक्त तक कब्ज का बने रहना भी कोलोन का कारण बन सकता है। मल में ब्‍लड आना, एनीमिया, पेट में दर्द, भूख न लगना, पेट फूलना और वजन कम होना भी इसके लक्षण है। आजकल के खानपान के चलते पेट में गड़बड़ी होना बहुत आम हो गया है। लेकिन अगर इस तरह के लक्षण आपको लंबे समय तक दिखाई दें तो तुरंत अपने डॉक्‍टर को दिखाएं। ले‍किन क्‍या आप जानती हैं कि अपनी डाइट में सांबर को शामिल कर आप इस कैंसर से बच सकती हैं। शायद आपको विश्‍वास नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है और ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि रिसर्च से सामने आई है।

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सांबर, जो दक्षिण भारतीय करी के रूप में सबसे ज्‍यादा फेमस हैं, इसे कोलोन कैंसर को रोका जा सकता है और हेल्‍थ एक्‍सपर्ट का कहना है कि सांबर पाउडर में मौजूद मसालों का मिश्रण इसकी प्रभावशीलता में योगदान देता है। जी हां गरमागरम सांभर को अक्सर परिवार के बुजुर्गों द्वारा विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए एक घरेलू उपाय की तरह लेने की सलाह दी जाती है और अब हमारे पास इसे मान्य करने के लिए मणिपाल यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया एक शोध भी है।

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कोलोन कैंसर के लिए सांबर

सांबर पाउडर में एंटी-ट्यूमरजेनिक गुण होते हैं, अर्थात यह ट्यूमर के गठन को रोकता है। सांबर पाउडर में धनिया के बीज, मेथी के बीज, हल्दी, काली मिर्च, करी पत्ते, जीरा और हींग शामिल होते हैं। अगर ठीक से बनाया जाए तो सांबर एक बहुत ही पौष्टिक डिश है। 'मसाले के गुणों का उपयोग मल त्याग में हेल्‍प करता है, जिससे पेट के कैंसर का खतरा कम होता है। सांबर एक मसालेदार डिश नहीं है, इसलिए यह आंत के अस्तर को प्रभावित नहीं करता है और वास्तव में डाइमिथाइल हाइड्राजाइन के विकास को रोकता है, जो पेट के कैंसर का एक कारक है।

टाटा मेमोरियल इंस्टीट्यूट, मुंबई के कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) ने भारतीय फूड्स में हल्‍दी की मौजूदगी का कीमो-निवारक में इस्‍तेमाल में अध्ययन किया। "सांबर को समग्र रूप से लेने के बजाय, अगर हम इसे घटकों में विभाजित करते हैं, तो हम इसमें इस्‍तेमाल की जाने वाली सभी सामग्रियों के कई लाभों को देखते हैं। सभी घटक अच्छे पाचन की सुविधा प्रदान करते हैं जो पेट के कैंसर को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।"

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एक्‍सपर्ट की राय

उत्तर भारत में पेट के कैंसर के केस ज्‍यादा देखने को मिलते हैं। मेडिकल एक्‍सपर्ट का दावा है कि इसका कारण प्रचलित आहार है, जिसमें अधिक गेहूं शामिल होता है और जिसके कारण कब्ज होती है। जबकि दक्षिण भारत में डाइट में चावल और करी शामिल होती है जो मल त्याग में मदद करते है। ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉक्‍टरों का कहना हैं, ''कोलन कैंसर के सत्तर प्रतिशत मामले उत्तर भारत में हैं। हल्‍दी, जो सांबर पाउडर में एक सक्रिय घटक है, इसमें कैंसर विरोधी गुण होते हैं। यह फ्री-रेडिकल्‍स के निर्माण को रोकता है जो कैंसरकारी हो सकते हैं। दक्षिण भारतीय करी और विशेष रूप से सांबर, मुख्य रूप से मसालों का उपयोग करके पकाया जाता है। उत्तर भारत में, हम ग्रील्ड फूड्स को ज्‍यादा देखते हैं जिसकी तैयारी के तरीके के कारण टार और फ्री-रेडिकल्‍स हैं।"

 

सांबर में मौजूद हल्‍दी भी है कमाल

हल्‍दी कोलोन कैंसर में कैसे हेल्‍प करती हैं इस बारे में हमने स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय योग और अनुसन्धान केंद्र (SPPC) की आयुर्वेदिक डॉक्‍टर दिव्‍या शरद से बात की थी तब उन्‍होंने हमें बताया ''हल्‍दी एक मसाला ही नहीं है बल्कि हर्ब भी है। हल्‍दी के फायदेमंद गुणों के कारण सदियों से इसका इस्‍तेमाल हर्बल दवाओं में किया जा रहा है। यूं तो हल्‍दी हर तरह के कैंसर से बचाने में हेल्‍प करती हैं। लेकिन कोलोन कैंसर से बचाव में हल्दी अधिक प्रभावी होती है। हल्‍दी में मौजूद करकुमीन एक शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट है और यह कैंसर सेल्‍स को मारने में प्रभावी होता है। साथ ही कोलोन कैंसर होने से भी रोकता है। आप हल्‍दी को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं।


सांबर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट द्वारा न केवल मसालों के लिए, बल्कि इसमें डाली जाने वाली सब्जियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट कहते हैं, ''भारतीय भोजन हमेशा से ही फाइबर से भरपूर होता है। सांभर में विशेष रूप से, गाजर, करेला, भिंडी, ड्रम स्टिक, टमाटर और जैसी अन्‍य कई सब्जियों का इस्‍तेमाल होता है, और इन सभी के अपने हेल्‍थ बेनिफिट्स होते हैं। इसके अलावा इसमें प्रोटीन से भरपूर दालें भी होती हैं। मसालों और अन्‍य सामग्रियों के मिश्रण से फैट का अवशोषण ज्‍यादा होता है जो गतिशीलता को बढ़ाता है और इस तरह से कोलोन कैंसर को रोक सकता है।'' जबकि फैट से भरपूर और कम फाइबर वाली डाइट अक्‍सर कोलोन कैंसर के खतरे को बढ़ाती है।

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इसके अलावा एक न्यूट्रीशनिस्ट का कहना हैं कि ''हालांकि यह स्‍टडी बहुत प्रारंभिक है, लेकिन सांबर के हेल्‍थ बेनिफिट्स को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि यह एक फेमस डिश है। सांबर में डाली जाने वाली काली हल्‍दी और मेथी को कोलोने कैंसर के खतरे को कम करने वाला माना जाता है। यह सूजन को कम कर कॉलोनिक टिश्‍यु पर नेगेटिव स्‍ट्रेस को रोकता है।"

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सांबर में मौजूद सहजन की फली भी है जादुई

सांबर कोलोन कैंसर के खतरे को कम करने में कैसे हमारी मदद करता है। इस बारे में हमने कैलाश नैचुरोपैथी हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के चिकित्‍सा प्रभारी, डॉक्‍टर उमाशंकर शर्मा से भी बात कि तब उन्‍होंने हमें बताया, ''सांबर में अगर आप सहजन की फली यानि ड्रम स्टिक डालकर खाते हैं तो यह कोलोन कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। क्‍योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है। इसके अलावा सहजन में कई तरह के एंटी कैंसर कंपाउंड पाए जाते हैं जैसे कैमफेरोल, रैह्मनेटिन और आइसो क्वेरसेटिन आदि। लेकिन ऐसे ही सांभर खाने से आपको कोई फायदा नहीं होता है।''

 

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