मैग्नीशियम शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है और एंजाइम्स के ठीक तरह से काम करने के लिए यह बहुत जरूरी है। मैग्नीशियम से मांसपेशियां रिलैक्स रहती हैं, हार्टबीट सामान्य बनी रहती है और मूड भी अच्छा रहता है। मैग्नीशियम के सेवन से हड्डियां मजबूत रहती हैं और नर्वस सिस्टम भी हेल्दी बना रहता है। मेनोपॉज के दौरान अगर मैग्नीशियम रिच डाइट ली जाए तो यह विशेष रूप से फायदेमंद साबित होती है। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन लेवल में उतार-चढ़ाव आता है, जिसके कारण हार्ट डिजीज और हड्डियां कमजोर होने की आशंका बढ़ जाती है। मैग्नीशियम से मेनोपॉज के दौरान नींद ना आने की समस्या में भी राहत मिलती है। कई स्टडीज में पाया गया है कि मैग्नीशियम की डाइट ना लेने वालों की तुलना में मैग्नीशियम से भरपूर डाइट लेने वालों की उम्र ज्यादा होती है। आइए जानते हैं कि मेनोपॉज के दौरान मैग्नीशियम रिच डाइट लेने से कौन से हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं-
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मुंबई की जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट शिल्पा मित्तल बताती हैं,
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नींद आती है अच्छी
मेनोपॉज की अवस्था में पहुंचने वाली लगभग 60 फीसदी महिलाओं को नींद आने में परेशानी होती है। प्रीमेनोपॉज की स्टेज से पेरीमेनोपॉज में पहुंचने वाली महिलाओं की नींद ना आने की समस्या बढ़ जाती है। इस समय में बहुत सी महिलाएं रातभर जगी रह जाती हैं। हॉट फ्लेशेज, रात में पसीना आना, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याएं इस अवस्था में बढ़ जाती हैं। नींद आने में मदद करने वाले दो हार्मोन्स मेलेटोनिन और प्रोजेस्टेरॉन में कमी की वजह से यह समस्या बढ़ती है। स्टडीज में पाया गया है कि 500 एमजी की मैग्नीशियम युक्त डाइट लेने से महिलाओं को ज्यादा समय के लिए और गहरी नींद आई। साफ है कि मैग्नीशियम रिच डाइट से महिलाएं रात में अच्छी नींद ले सकती हैं और दिनभर एनर्जी के साथ अपने काम कर सकती हैं।
हड्डियां रहती हैं मजबूत
मैग्नीशियम के सेवन से स्ट्रॉन्ग बोन्स का बेनिफिटमिलता है। शरीर में जाने वाले मैग्नीशियम का कुल 60 फीसदी हिस्सा हड्डियों में जमा हो जाता है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव करने में मदद मिलती है। ऑस्टियोपोरोसिस मेनोपॉज की स्टेज में पहुंचने वाली महिलाओं को प्रभावित करता है और उम्र के साथ इसका प्रभाव बढ़ता है। हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर में एक रीमॉडलिंग प्रक्रिया होती है, जिसे ओस्टियोजेनेसिस कहा जाता है। यंग एज में हड्डियों के रीबिल्ट होने की प्रक्रिया तेज होती है। लेकिन मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन लेवल में कमी आने की वजह से ऑस्टियोक्लास्ट एक्टिविटीज (बोन लॉस) में तेजी आती है, जिससे हड्डियों के रीबिल्ट होने की क्षमता कम होती जाती है। स्टडीज में पाया गया है कि मैग्नीशियम की डाइट लेने से बोन लॉस की प्रकिया में कमी आती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम हो जाता है।
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चिंता और डिप्रेशन में आती है कमी
पेरीमेनोपॉज से लेकर मेनोपॉज के बाद की स्टेज में भी महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या देखने को मिलती है। हालांकि डिप्रेशन कई कारणों से होता है, लेकिन अगर मैग्नीशियम रिच डाइट ली जाए तो इससे चिंता और डिप्रेशन पर काबू पाने में मदद मिलती है। ऑब्जर्वेशनल स्टडीज में पाया गया है कि मैग्नीशियम का लेवल कम होने के कारण डिप्रेशन होने की आशंका बढ़ जाती है।
दिल रहता है सेहतमंद
पिछले कुछ समय से पोस्टमेनोपॉज वाली स्टेज में दिल की बीमारियों के कारण महिलाओं की मौत के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि मेनोपॉज के कारण हार्ट डिजीज नहीं होती हैं, लेकिन पोस्टमेनोपॉज वाली स्टेज में एस्ट्रोजन लेवल में कमी आने और सही लाइफस्टाइल नहीं होने से हाई ब्लड प्रेशर, ट्राईग्लाइसराइड्स और एलडीएल यानी Bad cholesterol का लेवल बढ़ जाने की आशंका होती है। इससे दिल की सेहत प्रभावित होती है। एक स्टडी में पाया गया है कि पोस्टमेनोपॉज स्टेज में मैग्नीशियम रिच डाइट लेने से हार्ट डिजीज में कमी आई। मैग्नीशियम रिच फूड से दिल की मांसपेशियां का कॉन्ट्रेक्शन कंट्रोल में बना रहता है। ऐसी डाइट एंटीऑक्सिडेंट्स, हेल्दी फैट, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती हैं, जिससे हेल्दी हार्ट का फायदा मिलता है।
मैग्नीशियम रिच डाइट के फायदे जानने के बाद आप भी इसे अपनी डाइट में शामिल करें और हेल्दी रहें। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे जरूर शेयर करें। डाइट और न्यूट्रिशन से जुड़ी अपडेट्स पाने के लिए विजिट करती रहें हरजिंदगी।
Information Source: Healthline,Image Courtesy: Freepik,healthifyme, cdn.algaecal.com
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