क्या आप जानते हैं कि चायपत्ती की खोज कैसे हुई थी। हमनें इतिहास के पन्नों पर नज़र डाली तो हमें पता चला कि, चीन के राजा शैन नुंग एक बार गर्म पानी पी रहे थे तभी उनके प्याले में एक सूखी पत्ती आकर गिर गई, जिससे उस पानी का रंग बदल गया, उन्होंने जब इसे पीकर देखा तो उन्हें इसका स्वाद बहुत पसंद आया। वैसे सन् 350 से चाय की पहल हुई थी ये भी पढ़ने को मिलता है। चीन से चाय की तारीफें यूरोप पहुंची और फिर धीरे-धीरे ये सारी दुनिया में लोगों की फेवरेट ड्रिंक बन गई।
ये भी लिखा गया है कि सन् 1834 में इंडिया में गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने चाय की शुरूआत की थी जिसके बाद 1835 में असम में चाय के बागान लगाए गए। भारत घूमने आए अंग्रेज़ों ने असम के क़बलाई लोगों को चाय पीते हुए देखा जिसके बाद उन्होंने इसे पीना शुरू किया और फिर अपने देश जाकर लोगों को इसके बारे में बताया।
एक फूड फेस्टिवल में चाय की इतनी हज़ार साल पुरानी परंपरा के बारे में हमें जानने का मौका मिला। Teacupsfull के स्टॉल पर हमारी मुलाकात शिखा पुरी से हुई और उन्होंने हमें यहां इसके बाारे में बताया। यहां पर चाय की फ्रेश पत्ती से चाय को उसी तरह से बनाकर पिलाया जा रहा था जैसे इतिहास में इसके बारे में जिक्र किया गया है। आइए आपको बताते हैं कि हमें चाय की कौन सी पत्तीयों के बारे में यहां पता चला।
जासमिन चाय पत्ती (jasmine tea)
जासमिन की खूशबू वाली इस चाय पत्ती का स्वाद अगर आपको पसंद आया तो आप फिर इसके अलावा कुछ और try नहीं करेंगीं। ये चीन की सबसे मशहूर चाय पत्ती है। green और white चाय की पत्तियों के साथ में जासमिन के फूलों को डालकर इसे धूप में तैयार किया जाता है। ये चाय पीने के बाद आप calm महसूस करेंगीं।
मसाला चाय पत्ती (masala tea)
ब्लैक चाय की पत्ती में इंडियन मसालों को मिलकर इस चाय को तैयार किया जाता है। इसमें इलायची, लौंग, अदरक, दालचीनी मिलाकर खास मसाला फेलवर तैयार किया जाता है।
सफेद चाय पत्ती (white tea)
सबसे कम प्रड्यूस होने वाली चाय है जिन लोगों ने कभी भी चाय टेस्ट नहीं की है उन्हे सबसे पहले इसका स्वाद लेना चाहिए। इसे सफेद चाय पत्ती इसलिए कहते हैं क्यों कि जब इसे पानी में मिलाया जाता है तब इसका रंग और चाय पत्तियों के मुकाबले सबसे कम आता है। यानि आप चाय के flavour का गर्म पानी पी रहे हैं आपको इसका टेस्ट ऐसा ही लगेगा। इसमें कैफिन की मात्रा भी अन्य चाय की पत्ती के मुकाबले कम होती है। ये सबसे हेल्दी चाय होती है। कैंसर और हार्ट जैसी बीमारी से परेशान लोगों को इस चाय से फायदा मिलता है।
ग्रीन चाय पत्ती (grean tea)
चाय की ग्रीन पत्ती unoxidised होती है। गर्म पानी में जाते ही ये अपने रंग बदलने में थोड़ा वक्त लगाती है। इसमें antioxidant, vitamins और minerals के गुण है जो इसे ज्यादा हेल्दी बनाते हैं। हरी पत्तियों की चाय का रंग भी पीला होता है।
ब्लैक चाय पत्ती (black tea)
इस चाय की पत्ती का स्वाद काफी बढ़िया होता है जिन्हें strong चाय पीने की आदत है उनके लिए black tea सबसे अच्छा ऑपशन है। इसकी consumption दुनियाभर में 85% लोग करते हैं। वैसे चाय की ये पत्ती oxidised होती है।
आमतौर पर पी जाने वाली चाय की जगह अगर आप इन फ्रेश पत्तीयों से बनी चाय पीएंगें तो ये सेहत के लिए भी ज्यादा फायदेमंद होगी और इसका स्वाद भी खास होगा। अगर आप इसमें चीनी और दूध नहीं मिलाएंगी और इसे ऐसे ही फ्रेश पीएंगी तो ये चाय आपके लिए zero कैलोरी ड्रिंक बन जाएगी।
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ताज़ा चाय की पत्तियों से बनीं चाय के फायदा
- ताज़ा पत्तियों से बनीं चाय में कैफीन और टैनिन सही मात्रा में शरीर में जाता है जो आपको और चुस्त बनाता है।
- चाय की पत्तियों में एल-थियेनाइन नाम का अमीनो-एसिड है जो फ्रेश पत्तियों में ज्यादा होता है और ये पीने से आपका दिमाग शांत रहता है।
- फ्रेश पत्तियों से बनी चाय का सबसे बड़ा फायदा ये हैं कि ये anti aging और antibacterial हैं जो आपके लिए काफी फायदेमंद है।
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