आपने कभी सुना होगा कि आम चीज़ों के भी अलग-अलग वेरिएंट होते हैं और उन्हें खास दाम में बेचा जाता है। कई लोगों को ये लगता है कि महंगे दामों में बिकने वाली चीज़ें तो ज्यादा अच्छी होंगी, लेकिन कई बार हम किसी आम चीज़ का इतना महंगा दाम सुन लेते हैं कि सोच में पड़ जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है असम की मनोहरी चाय के साथ जो एक नीलामी में 1 लाख रुपए प्रति किलो के दाम में बिकी। आपको बता दें कि ये दाम चांदी से भी ज्यादा है और इसलिए इसकी इतनी चर्चा हो रही है।
गुवाहाटी टी सेंटर में हुई इस नीलामी में असम चाय को बहुत ही अच्छा रिस्पॉन्स मिला। पर पिछले साल हुई नीलामी में इसी वेराइटी की कीमत 75000 रुपए लगाई गई थी। 2018 में इस चाय ने रिकॉर्ड बनाना शुरू किया था जहां मनोहरी टी एस्टेट की चाय पहली बार 39,001 रुपए प्रति किलो के दाम में बिकी थी।
आखिर क्यों इतनी फेमस है मनोहरी चाय?
अब सवाल सबसे बड़ा ये उठता है कि मनोहरी चाय इतनी फेमस क्यों है और इसकी इतनी कीमत क्यों दी जाती है। इसका सीधा सा जवाब है इसके फ्लेवर के लिए। असम मनोहरी चाय का माल्टी स्वाद आया है यानी थोड़ा सा ऐसा स्वाद जिसमें किसी बीज को बहुत ज्यादा जर्मिनेट किया गया हो और उसे पानी में भिगो कर उससे असली एसेंस निकाला गया हो। माल्टी फ्लेवर को अधिकतर शराब में इस्तेमाल किया जाता है।
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इसी के साथ, जब इसे पकाया जाता है तो काले रंग की जगह सुनहरा रंग दिखता है। इसकी इसी खासियत के कारण इसकी मांग ज्यादा है और उसके एवज में इसका प्रोडक्शन काफी कम होता है। यही कारण है कि साल दर साल इसकी कीमत बढ़ती चली जा रही है।(क्या होती है असम ब्लैक चाय)
इसका मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस भी काफी महंगा है जिसमें एक दिन में सिर्फ 80 ग्राम बड्स ही प्रोसेस किए जाते हैं जबकि 20-25 किलो पत्तियां निकाली जाती हैं। यानी आप सोच सकते हैं कि इसे बनाने में कितनी मेहनत लगती है।
पिछले साल 75000 रुपए किलो में बिकने के बाद इस चाय का अनबॉक्सिंग वीडियो भी जारी किया गया था।
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आखिर कैसे बनता है इसका गोल्डन रंग?
इसे चाय वाला सोना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस चाय को प्रोड्यूस करने के लिए कम से कम मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका प्रोडक्शन लेबर द्वारा होता है जहां पत्तियों को हाथ से चुना जाता है और मशीनों का इस्तेमाल नहीं होता। इसलिए जो क्वांटिटी मिलती है वो कम होती है।(रूह असम टी का रिव्यू)
इसकी पत्तियों को साल में चार बार चुना जाता है। पहली खेती मार्च में होती है, दूसरी जून में, तीसरी जुलाई से सितंबर के बीच और चौथी अक्टूबर-नवंबर के बीच होती है।
इसे 2018 में सी के पाराशर ने इजाद किया था और एक रिपोर्ट के मुताबिक इस चाय का रंग ब्राउन से गोल्डन हो जाता है जब इसका ऑक्सीडेशन होता है। ये फर्मेंटेशन प्रोसेस के जरिए होता है और इसलिए ही इसका स्वाद माल्टी हो जाता है। फिर गोल्डन पत्तियों को काली पत्तियों से अलग किया जाता है।
इस चाय को उगाने के लिए मौसम भी बिल्कुल परफेक्ट होना चाहिए। अगर मौसम इसके अनुकूल नहीं है तो सही वेराइटी नहीं मिलेगी। क्योंकि इसे हाथ से चुना जाता है और अधिकतर प्रोसेस हाथ से ही होता है इसलिए ये महंगी होती है। अन्य असम चाय अधिकतर मशीनों से बनती है, लेकिन ये अलग है।
इसका 20 ग्राम का पैकेट आपको 2700 रुपए में मिलेगा। पर इसका एक कम बनाने में आपको कम से कम 2 ग्राम चाय लगेगी यानी 2700 रुपए में आपको 10 कप चाय तो मिल ही जाएगी।
जिस नीलामी में ये चाय बिकी है उसमें देश के अलग-अलग टी-एस्टेट्स से चाय बिकने के लिए आती है।
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असम की और स्पेशल वेराइटी वाली चाय-
असम की अन्य स्पेशल वेराइटी वाली चाय भी हैं, जिसमें ऊलांग टी, लॉन्ग डिन ग्रीन टी, व्हाइट टी, ब्लैक टी और बहुत कुछ शामिल है। असम ब्लैक टी भी उतनी ही फेमस है और इसे दुनिया भर में एक्सपोर्ट भी किया जाता है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि इस चाय की खासियत क्या है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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