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what vegetarian and non vegetarian foods did our ancestors eat 900 years ago

900 साल पहले भारतीय क्या खाया करते थे? जानिए वेज और नॉनवेज खानपान की रोचक बातें

बदलती संस्कृति और सभ्यता के चलते हमारे भोजन में भी बदलाव दिखाई देने लगता है। सोचिए, 900 साल पहले भारत के लोग क्या खाया करते थे, वे शाकाहारी थे या मांसाहारी? 
Editorial
Updated:- 2025-03-21, 16:40 IST

समय के साथ न केवल सभ्यताएं विकसित हुईं, बल्कि खान-पान की आदतें भी बदलीं। कुछ व्यंजन लुप्त हो गए, तो कुछ नए व्यंजनों ने भोजन की थाली में अपनी जगह बनाई। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 900 साल पहले यानी लगभग 12वीं शताब्दी में हमारे पूर्वज क्या खाया करते थे? उस समय के खाने की जानकारी हमें ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलती है, जिनमें संस्कृत ग्रंथ ‘मानसोल्लासा (Manasollasa)’ प्रमुख है।

भारत में 12वीं शताब्दी का भोजन

12वीं शताब्दी में भारत पर चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय का शासन था। राजा ने उस समय एक विस्तृत ग्रंथ ‘मानसोल्लासा’ लिखा था, जिसमें न केवल खान-पान बल्कि समाज, कला,संगीत, चिकित्सा और आयुर्वेद से जुड़ी कई जानकारियां शामिल हैं। इस ग्रंथ के आधार पर पता चलता है कि 900 साल पहले भी भारतीय समाज में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन लोकप्रिय थे। आज हम इस आर्टिकल में जानते हैं कि हमारे पूर्वज पहले वेज और नॉनवेज में क्या-क्या व्यंजन खाया करते थे और वे खाना कैसे पकाते थे और कौन-से मसालों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया करते थे?

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900 साल पहले कैसा था मांसाहारी भोजन?

Ancient non-vegetarian food in India

900 साल पहले भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में मांसाहारी भोजन पर नजर डाले, तो पता चलता है कि लोग लोग बकरी, भेड़, मुर्गी, मछली और अंडे को  खाया करते थे। 'मानसोल्लासा' ग्रंथ में बताया गया है कि उस समय भुने हुए चूहे और भुने हुए कछुए जैसे खाद्य पदार्थ लोकप्रिय थे। इस किताब में मछलियों की 35 प्रजातियों का जिक्र किया गया है और यह भी बताया गया है कि मछलियों को क्या खिलाना चाहिए, ताकि उनका स्वाद बेहतर हो। इसके अलावा, मांसाहारी व्यंजनों में कीमा और भेड़ के खून से बनी पुडिंग जैसी डिशेज भी शामिल थीं, जो उस समय के लोगों के खानपान का अहम हिस्सा थीं।  

900 साल पहले कैसा था शाकाहारी भोजन?

हमेशा से भोजन केवल पेट भरने का जरिया नहीं रहा है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा रहा है। सदियों से अलग-अलग जगहों के लोगों ने अपनी जलवायु, परिवेश और संसाधनों के हिसाब से खान-पान को अपनाया है। 'मानसोल्लासा' ग्रंथ के अनुसार, दालें लोगों की पसंदीदा थीं, और उन्हें कई तरह से पकाया जाता था। आज के डोसे की तरह के व्यंजन, दही से बनी चीजें और दाल भरी पूरियाँ भी लोकप्रिय थीं। उस दौर में 'मंडक' नाम का एक व्यंजन भी प्रचलित था, जिसे आज हम पराठा कहते हैं। किताब में बताया गया है कि लोग फल भी खूब खाते थे, और इसमें कम से कम 40 तरह के फलों का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा, सलाद खाने की परंपरा भी थी, जिसमें कच्चे आम, करेला और केले जैसी चीजों पर तिल और काली सरसों से सजावट की जाती है, जिससे उनका स्वाद और भी खास हो जाता था।

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प्राचीन समय में मिठाइयों का स्वाद

sweets in ancient indian food history

'मानसोल्लासा' ग्रंथ के अनुसार, प्राचीन समय में भोजन के बाद एक खास ड्रिंक 'पनाका' बहुत पसंद की जाती थी। यह फलों और दही को मिलाकर बनाई जाती थी, जो आज की स्मूदी जैसी लगती थी। उस दौर की मिठाइयों में गेहूं से बनी मीठी पूड़ी, चावल के आटे से बना 'पंटुआ' और काले चने के आटे से तैयार किया गया केक काफी लोकप्रिय थे। इसके अलावा, दाल से बने स्नैक्स भी लोग बड़े चाव से खाते थे, जो स्वाद के साथ-साथ पौष्टिकता भी प्रदान करते थे।

900 साल पहले प्राचीन भारत में भोजन पकाने की विधियां

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जैसा कि 'मानसोल्लासा' में भुने हुए चूहे, कछुए का जिक्र मिलता है, उसे पता चलता है कि उन्हें सीधे आग या तंदूर में पकाया जाता होगा। उस समय लोग मीठी पूड़ी खाते थे, तो इसका मतलब है कि गर्म तेल या घी में इन्हें तला जता था। वहीं, दाल, सब्जियों और खिचड़ी को उबाला या आंच में पकाया जाता था। ग्रंथ के अनुसार, 900 साल पहले लोग इडली और डोसे जैसे व्यंजनों को खाया करते थे, यानी Fermentation का उन्हें पता था। प्राचीन काल में पूर्वज मंडक या पंटुआ खाते थे जिसको भांप में पकाना पड़ता था। दूसरी तरफ, मांसाहारी लोग भुना हुआ मांस या खाते थे, तो उसे आग पर ग्रिल किया जाता था। मसालों में हमारे पूर्वज  हल्दी, काली मिर्च, सरसों, तिल, इलायची, धनिया, अदरक और दालचीनी जैसे मसाले इस्तेमाल किया करते थे। 

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Image Credit - meta ai, 

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