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देश के ट्राइबल क्षेत्रों में खाई जाती हैं ये  Lesser Known डिशेज

आदिवासियों की संस्कृति, बोली, भाषा और रहन सहन तो अलग होती ही है, साथ ही इनके खान पान भी बहुत अलग होते हैं। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको भारतीय आदिवासियों के कुछ व्यंजनों के बारे में बताएंगे। <h2>&nbsp;</h2>
Editorial
Updated:- 2023-09-14, 18:37 IST

आजतक आप सभी ने नॉर्थ साउथ और कई दूसरे राज्यों एवं क्षेत्रों के भोजन का स्वाद चखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी आदिवासियों के पारंपरिक भोजन का स्वाद लिया है या आप उनके स्वादिष्ट और अनोखे भोजन के बारे में जानते हैं। आदिवासियों के भोजन की खासियत और स्वाद उनके बीच ही सिमट के रह जाती है। इसलिए आज हम आपको इस लेख में भारत के ट्राइबल क्षेत्र में प्रसिद्ध कुछ आदिवासी भोजन के बारे में बताएंगे।

भारत के कई राज्यों में आदिवासी बसे हुए हैं जो आज भी अपनी संस्कृति को संजो कर रखे हैं। आज भी ऐसे कई आदिवासी हैं जो तेंदू, चार, मउहा,बांस जैसे दूसरे खाद्य पदार्थों को अपने दैनिक भोजन का हिस्सा बनाकर जी रहे हैं। उनकी संस्कृति, बोली, भाषा दूसरों से बेहद अलग और अनोखी होती है और यह उनकी खासियत है जो औरों से उन्हें अलग बनाती है।

आदिवासी समुदाय के बीच लोकप्रिय है ये व्यंजन

डेम्टा चटनी

काई, चपरा चटनी या लाल चींटी की चटनी के रूप में जानी जानी जाती है। इस चटनी को लाल चींटी और उसके अंडों से बनाया जाता है। चटनी को पीस कर कई तरह के मसालों के मिश्रण से इसे तैयार किया जाता है। इस चटनी को उड़ीसा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी लोग खाते हैं। स्वाद में यह चटनी खट्टी और चटपटी होती है।

अम्रसु

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पिसे हुए चावल, चिकन और बांस के अंकुर से तैयार इस अम्रसु को नागालैंड में खाया जाता है। चावल, चिकन और बांस का यह स्वादिष्ट मिश्रण बेहद स्वादिष्ट लगता है।

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मढ़ झोल

झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय के बीच यह मढ़ झोल व्यंजन लोकप्रिय है। इसे उबले हुए चावल के पानी, लहसुन, प्याज और बथुआ भाजी से तैयार किया जाता है।

हरिया

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हरिया एक स्वास्थ्यवर्धक पेय है, जो कि कई आदिवासी समुदायों के बीच लोकप्रिय है। चावल को किण्वित कर इसे तैयार किया जाता है। शरीर के ताप  को कम करने के लिए इस हरिया पेय को पिया जाता है।

संधाना अचार

आज तक आपने कई तरह के सब्जी और फल से बने अचार का स्वाद चखा होगा। यह संधाना या करील अचार के नाम से झारखंड के लोगों के बीच फेमस है। बांस के कोमल कोंपलों (बांस की रेसिपीज) से इस अचार को आदिवासी क्षेत्रों में बनाया जाता है।

थपड़ी या मडुआ रोटी

रागी के आटे से बनाई गई इस रोटी को बिना चौकी बेलन के हाथों से पीट-पीट कर बनाया जाता है। यह रोटी झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय के बीच खाया जाता है।

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महुआ

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पके हुए महुआ के फूलों को साधारण खाने के अलावा इससे शराब भी बनाई जाती है। छत्तीसगढ़ समेत यह कई दूसरे आदिवासी क्षेत्रों में लोकप्रिय है।

रुगड़ा करी

यह रुगड़ा करी मशरूम से बनाया जाता है। इसे झारखंड के आदिवासी लोगों द्वारा खाया जाता है। इस रुगड़ा करी में कई तरह के फायदेमंद पोषक तत्व पाए जाते हैं।

 

ये रही कुछ पारंपरिक खाद्य पदार्थ और व्यंजन जो देश के आदिवासी समुदाय के बीच लोकप्रिय है। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

Image Credit: freepik and shutterstocks

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