आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसे हम सभी अपनी भारतीय किचन में हमेशा ही रखते हैं। चाहे व्रत हो या फिर सुबह झटपट कुछ बनाना हो, अक्सर हम आलू का ही सेवन करते हैं। महाराष्ट्र के वड़ा पाव से लेकर बंगाल के आलू पोस्तो और दिल्ली के चाट, या फिर साउथ इंडिया के डोसा तक आलू को किसी ना किसी रूप में अवश्य खाते हैं। दक्षिण अमेरिका में पैदा हुआ आलू आज पूरी दुनिया में उगाया जाता है। भारत के भी लगभग सभी राज्यों में कम से कम 300 साल या उससे भी ज्यादा सालों से आलू उगाया जाता रहा है।
भारत में ही आलू की कई अलग-अलग किस्में उगाई जाती हैं, जिसके बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी ही नहीं होती है। बस वे मार्केट जाते हैं और आलू लाकर उसे पकाकर खाते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको आलू की अलग-अलग वैरायटी के बारे में बता रहे हैं-
कुफरी ज्योति
इस किस्म का आलू लगभग 80 से 150 दिन में पक जाता है। इसे आलू के सबसे अच्छे प्रकारों में से एक माना जाता है। बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल मुख्य उत्पादक हैं। इस आलू की औसत उपज 20 टन प्रति एकड़ होती है।
कुफरी सिंदूरी
यह आलू मुख्य रूप से बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर राज्यों में उगाया जाता है। आलू की इस फसल को विकसित होने में 110-120 दिन लगते हैं। इस आलू की खासियत यह है कि यह एक हद तक तापमान का भी सामना कर सकती है। इसलिए, इसे आलू की एक बेहतर किस्म माना जाता है। इस आलू की औसत उपज 40 टन प्रति एकड़ होती है।
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कुफरी चिप्सोना
आलू की इस किस्म को अधिकतर बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में उगाया जाता है। यह आलू मध्यम से बड़े आकार का और ओवल शेप्ड में होता है। आलू की यह फसल 90-110 दिनों में पक जाती है और इसकी औसत उपज लगभग 40 टन प्रति हेक्टेयर होती है। इस आलू को मुख्य रूप से चिप्स और फ्रेंच फ्राइज़ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कुफरी पुखराज
इसे ज्यादातर बिहार, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। यह बड़े, ओवल और थोड़े पतले आकार का होता है। आलू की यह फसल 70-90 दिनों में पक जाती है और औसत उपज लगभग 40 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
कुफरी चंद्रमुखी
आलू की यह किस्म मुख्य रूप से बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल आदि में उगाई जाती है। इस फसल को तैयार होने में 80-100 दिन का समय लगता है। आलू के इस पौधे का तना हरा होता है जिस पर लाल-भूरे रंग की धारियां होती हैं। इसकी उपज 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
कुफरी नीलकंठ
यह आलू की एक लोकप्रिय किस्म है, जो अधिक ठंड का भी आसानी से सामना कर सकती है। इतना ही नहीं, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट भी उच्च मात्रा में होते हैं। यह फसल लगभग 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। कुफरी नीलकंठ से प्रति हेक्टेयर 350-400 क्विंटल उत्पादन किया जा सकता है। इस आलू का टेस्ट भी काफी अच्छा होता है।
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कुफरी लालिमा
आलू की यह फसल ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार में उगाई जाती है। इस आलू का साइज बड़े से मीडियम हो सकताहै। इसका कलर हल्का रेड होता है। आलू (आलू के हैक्स) की यह फसल लगभग 100-110 दिनों में पक जाती है और इसकी औसत उपज लगभग 40 टन प्रति हेक्टेयर होती है। प्रोसेसिंग के लिए इस आलू को सही नहीं माना जाता है।
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Image Credit- freepik
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