बेहद दुर्लभ है यह कंद मूल, फलाहार बनाने के लिए किया जाता है उपयोग

ऐसे कई तरह के फल, फूल, सब्जी और कंद मूल होते हैं, जिसके बारे में सभी को नहीं पता होता है। ऐसा ही एक कंद मूल है तीखूर जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है, तो चलिए जानें इसके बारे में।

 
tikhur powder benefits

बहुत से लोगों को Arrowroot के बारे में जानकारी है लेकिन बहुत से लोगों को तीखुर के बारे में नहीं जानते हैं। बता दें कि यह एक कंद मूल है और इसका सेवन फलाहार के रूप में किया जाता है। तीखुर का पौधा और कंद दोनों हल्दी की तरह ही होता है, बस इसके कंद सफेद रंग के होते हैं। इस कंदमूल का उपयोग आमतौर पर नवरात्रि और सावन के व्रत में फलाहार बनाने के लिए किया जाता है। ये तो रही खाने पीने की बात, लेकिन आयुर्वेद में भी इसका बहुत महत्व बताया है, तीखुर एक ऐसा जड़ी बूटी है, जिसके सेवन से बुखार, शरीर का ताप, अधिक प्यास लगना, एनीमिया, डायबिटीज, पीलिया जैसे रोगों के लिए फायदेमंद माना गया है।

क्या है तीखुर

tikhur kandmul

तीखुर एक कंद मूल है, जो आमतौर पर जंगलों में पाया जाता है। इसका पेड़ हल्दी की तरह ही होता है, लेकिन इसकी फूल पीले रंग का और कंद सफेद रंग का होता है। वहीं हल्दी का फूल सफेद रंग का और कंद पीले रंग का होता है। इसका पौधा कई सालों तक जीवित रहता है और इसके कंद अंदर ही अंदर बढ़ते रहते हैं। तीखुर के पत्ते नोकदार और 30-45 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं। यह आम तौर पर पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है, जैसे उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारतीय राज्यों में मिलता है। इसकी तासीर बहुत ठंडी होती है इसलिए इसका सेवन गर्मियों में करना बेहद फायदेमंद हो सकता है।

तीखुर का उपयोग और फायदा

Tikhur powder in hindi benefits

कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर यह शरीर के ताप को कम करने के लिए फायदेमंद है। इसका सेवन व्रत में सिंघाड़े की तरह ही फलाहार के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग बच्चों को खिलाने के लिए भी किया जाता है, इसलिए इसे बेबी फूड्स की श्रेणी में रखा जाता है। पेट संबंधी परेशानी के लिए भी यह काफी लाभदायक है। इसके अलावा तीखुर के सेवन से पेट फूलने, गैस, दस्त, यूरिन में जलन, खांसी जैसी तमाम तरह की परेशानियों से राहत देने के लिए फायदेमंद है।

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तीखुर बनाने की प्रक्रिया

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तीखुर बनाने की प्रक्रिया थोड़ी पेचीदा भरी है, तीखुर (तीखुर रेसिपी) बनाने के लिए पहले जड़ को साफ पानी में धोकर सुखाया जाता है। जब यह सूख जाता है, तो इसके छिलके को उतारकर इसे पीसा जाता है। फिर इसे पानी में घोलते हैं, पानी में घुलते ही इसके दूषित पदार्थ ऊपर आ जाते हैं और तीखूर नीचे रह जाता है। जमे हुए तिखुर को धूप में अच्छे से सुखाया जाता है और सूखने के बाद उसे दो-तीन बार ऐसे ही धोकर सुखाया जाता है। इसे जितनी ज्यादा बार धोकर सुखाते हैं इसकी कड़वाहट चली जाती है। आखिर में सूखे पाउडर को तीखुर की रेसिपी बनाने के लिए यूज किया जाता है।

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ये रही तीखुर से जुड़ी कुछ जानकारी, जो आपके काम आ सकती है। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

Image Credit: Freepik and Shutterstock

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