इस शहर में मिलते हैं दुर्लभ बेर, 100 साल पुराना पेड़ आज भी दे रहा है फल

भारत में बेर की 100 से भी ज्यादा किस्में हैं। ऐसे में आज हम आपको एक दुर्लभ बेर के बारे में बताएंगे जिसका पेड़ 100 साल पुराना है और खाने में बेहद स्वादिष्ट है।

 
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सर्दियों का मौसम चल रहा है, इस मौसम में कई तरह के फल और सब्जी बाजार में आते हैं। इस मौसम में खट्टा-मीठा स्वादिष्ट बेर भी आता है। बेर खाने में स्वादिष्ट तो होता ही हैं, साथ ही सेहत के लिए भी इसके कई फायदे हैं। बाजार में अब बेर आने लगे हैं, ऐसे में साधारण बाजारों में मिलने वाले बेर से बेहद अलग एक खास और दुर्लभ बेर के बारे में बताएंगे। यह बेर दुर्लभ भी है और खास भी, तो चलिए इस बेर से जुड़ी कुछ खास बातें जान लेते हैं।

कहां है त्रिलोक बेर का पेड़

trilok ber

त्रिलोक बेर मध्यप्रदेश के भोपाल में है, इस पेड़ को लेकर यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यह सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। बेर का यह पेड़ अभी तक हरा भरा है और हर सीजन में फलता भी है। बेर का यह पेड़ भोपाल के इंतखेड़ी में है और इसे खास संरक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। त्रिलोक बेर के इस पेड़ के प्रजाति को दुर्लभ कहा गया है। इस बेर के स्वाद और मिठास के कारण त्रिलोक बेर की खास मांग भी है।

इस त्रिलोक बेर की किस्म बहुत दुर्लभ है, यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती है। इस त्रिलोक बेर के पेड़ को लेकर यह कहना है कि 100 साल पहले जगदीशपुर के मंदिर में इसका पेड़ है। मंदिर परिसर में इस बेर (बेर खाने के फायदे) का पेड़ होने के कारण आस पास के लोगों ने इस बेर का नाम ब्रम्हा, विष्णु, महेश के नाम पर रखा है। बेर को प्रसाद के रूप में खाया जाता है और इसे गांव के लोग प्रसाद के रूप में बांटते हैं।

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क्यों है बेर का यह किस्म दुर्लभ

rare ber variety

बेर के इस किस्म को लेकर मानना है कि भोपाल की जलवायु के कारण इस किस्म की पैदावार यहां अच्छी होती है, हालांकि लगातार पेड़ों की बढ़ती कटाई के कारण इस किस्म के बरे दुर्लभ होते जा रहे हैं। इस बेर की खासियत की बात करें, तो त्रिलोक बेर का फल अन्य बेर के फलों से ज्यादा पका हुआ होता है और सामान्य तापमान होने पर भी यह 10-12 दिन तक स्टोर किया जा सकता है। त्रिलोक बेर की सुगंध बहुत अलग और अच्छी होती है और इसके अनोखे सुगंध और स्वाद के कारण लोग इस फल की डिमांड ज्यादा करते हैं। त्रिलोक बेर के वजन की बात करें तो एक फल 30-40 ग्राम तक होती है।

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Image Credit: Freepi

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