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क्या आप जानते हैं मसाला डोसा की शुरुआत कहां से हुई

आइए जानें मसाला डोसा की शुरुआत कहां से हुई और क्या है इस स्वादिष्ट व्यंजन का इतिहास। 
Editorial
Updated:- 2021-11-30, 18:18 IST

मसाला डोसा का नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी जरूर आ जाता होगा, गरमा -गरम डोसा के साथ सांभर और चटनी का तड़का लग जाए तो बात ही क्या है। जी हां, डोसा आमतौर पर सभी फ़ूड लवर्स की पहली पसंद होता है और आपके खाने को लाजवाब बनाने वाली ये साउथ इंडियन डिश वास्तव में प्लेट में देखते ही खाने की भूख कई गुना बढ़ जाती है।

वैसे तो डोसा कई तरह से बनाया जाता है और इसके अलग-अलग रूप भी होते हैं लेकिन मसाला डोसा आपमें से ज्यादातर लोगों की पहली पसंद होगा। जब भी बात साउथ इंडियन थाली की आती है तब मसाला डोसा लोगों की पहली पसंद होता है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि मसाला डोसा की शुरुआत कहां से हुई थी और कैसे यह आपकी थाली में परोसी जाने वाली ख़ास डिश बनकर सामने आया।

मसाला डोसा के हैं कई प्रकार

masala dosa size

आमतौर पर मसाला डोसा विभिन्न प्रकारों और आकारों में तैयार किया जाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस क्षेत्र से आता है। जैसे जब बात मैसूर मसाला डोसा की आती है तब यह मसाले के साथ डोसे के अंदर रखी लाल चटनी के साथ आता है। जबकि बेन्ने मसाला डोसा कर्नाटक की पहचान है जिसमें मक्खन का इस्तेमाल करके इसका स्वाद बढ़ाया जाता है। तमिलनाडु में मसाला डोसा अपने बड़े आकार के लिए प्रसिद्ध है, जबकि कुछ जगहों पर आप कोन के आकार में भी मसाले डोसे का स्वाद उठा सकते हैं।

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मसाला डोसा का इतिहास

जब बात मसाला डोसा के इतिहास की होती है तब यह बात सामने आती है कि डोसा की शुरुआत 5वीं सदी से हुई थी। इतिहासकारों की मानें तो प्राचीन काल में कर्नाटक के उड्डपी के मंदिर के आस-पास की गलियां डोसा के लिए प्रसिद्ध थीं। तमिल साहित्य में भी इसका ज़िक्र है। वहीं बात करें मैसूर मसाला डोसा की तो इसका इतिहास मैसूर के महाराजा वडयार से जुड़ा हुआ है। बहुत से लोग मानते हैं कि डोसा की उत्पत्ति कर्नाटक के उडुपी शहर में हुई थी और इसका आविष्कार एक ब्राह्मण रसोइए द्वारा जंगली पक्ष में जाने की कोशिश में किया गया था। ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मण समाज को शराब की अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्होंने चावल के साथ खमीर उठाकर डोसा की उत्पत्ति की।

मसाला डोसा के अस्तित्व की कहानी

masala dosa facts

मसाला डोसा और यह कैसे अस्तित्व में आया, इसकी कुछ मूल कहानियां हैं। ऐसा माना जाता है कि डोसा में मसाला भरने से पहले, लोग केवल सादा डोसा खाते थे, जिसे आमतौर पर आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता था। एक कहानी यह भी कहती है कि डोसा सभी दक्षिण भारतीय होटलों में नाश्ते के भोजन के रूप में उपलब्ध था और हिंदू समाज के ब्राह्मण खाना पकाते थे। ऐसा माना जाता है कि उस समय के ब्राह्मण अपने अजीबोगरीब रीति-रिवाजों और मान्यताओं की वजह से प्याज के इस्तेमाल के खिलाफ थे, हालांकि, अगर उन्हें खाना बनाते समय कभी आलू की कमी हो जाती, तो वे बस प्याज को काटकर आलू की सब्जी में इस्तेमाल करते थे। इसलिए परेशानी से बचने के लिए रसोइए ने बस आलू करी की मदद से ही डोसा बनाना शुरू कर दिया। इस तरह रसोइयों ने एक नए तरह का डोसा बनाया था- मसाला डोसा।

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आमतौर पर कैसे बनता है मसाला डोसा

आमतौर पर डोसा परोसे जाने पर फोल्ड करके डोसा का बाहरी भाग कुरकुरा, सुनहरा होता है और अंदर से नरम और स्पंजी होना चाहिए। सादा दोसा सिर्फ दोसा होता है जिसे सांभर या चटनी के साथ खाया जाता है। मसाला दोसा ऐसा होता है जिसके अंदर आलू का मसाला भरा होता है, जो आलू, प्याज, सरसों के दानों और करी पत्ते से तैयार किया जाता है। यह किसी भी आकार का हो सकता है जैसे तिकोने या सिलेंड्रिकल आकार का होता है।

तो ये थी डोसे की दिलचस्प कहानी, उम्मीद है कि आपको भी ये कहानी सुनकर डोसा खाने का मन जरूर होने लगा होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik

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