भारतीय रसोई में तिल एक बहुत ही ज़रूरी इंग्रीडिएंट माना जाता है। तिल किसी रोज पूजा-पाठ में काम आता है तो किसी रोज मिठाई बनाने उपयोग किया जाता है। कई महिलाएं किसी विशेष मौके पर तिल का दान भी करती हैं। खासकर, सर्दियों के मौसम में तिल के लड्डू, तिल की चिक्की आदि चीजें लोग खाना खूब पसंद करते हैं। इसके अलावा अन्य कई रेसिपीज में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ये तिल कहां से आया? पहली बार इसकी खेती कब हुई थी? पहली बार इसे किस देश में उगाया गया था? भारत में इसका सबसे पहले कब इस्तेमाल हुआ था? आदि। अगर नहीं, तो आज इन्हीं सभी सवालों के जवाब की तलाश करने जा रहे हैं। अगर आप भी तिल के इतिहास के बारे में जानना चाहती हैं, तो आपको भी इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए, तो आइए जानते हैं।
शायद, आप इस सवाल को पढ़ने के बाद ये बोले रहे होंगे कि तिल का पौधा एक पौधा ही रहा होगा। अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि व्यंजन में उपयोग होने से पहले यह एक फूल का पौधा हुआ करता था। इस पौधे में जो सफ़ेद रंग के पुष्प होते थे उसे पूजा-पाठ या अन्य कामों में इस्तेमाल किया जाता था। धीरे-धीरे पुष्प की जगह इसके फल के ऊपर ध्यान दिया गया और तब जाकर मालूम चला कि इसके बीज खाने योग्य भी होते हैं।
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इस सवाल का सटीक जवाब शायद किसी के पास नहीं है लेकिन, कई लोगों का मानना है कि पहली बार इसे भारत में नहीं बल्कि किसी अन्य देश में देखा गया था। जी हां, कहा जाता है कि तिल के पौधे को सबसे पहले अफ्रीका के जंगलों में देखा गया था। इस पेड़ के फल और फूल को अफ़्रीकी आदिवासी लोग इस्तेमाल करते थे। (विंटर स्पेशल रेसिपीज) कहा जाता है कि लगभग हजारों वर्ष पहले अफ्रीका के लोग इसे भोजन या अन्य चीजों में इस्तेमाल करते थे।
भारत में तिल का उपयोग कब से किया जा रहा है इसका भी कोई सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकिन, माना जाता है कि भारत में इसका इस्तेमाल पांच हज़ार साल से भी अधिक समय से किया जा रहा है। कहा जाता है की सबसे पहले इसकी खेती तेल के लिए होती थी और धीरे-धीरे इसे भोजन में भी इस्तेमाल किया जाने लगा। हालांकि, सफ़ेद तिल और काले तिल किस जगह सबसे पहले इस्तेमाल किया गया, यह भी एक सवाल बना हुआ है। आपको बता दें कि तिल को विश्व का सबसे पहला तिलहन माना जाता है और इसकी खेती पांच हज़ार पहले शुरू हुई थी।
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शायद आपको मालूम हो अगर नहीं मालूम है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अथर्ववेद में तिल और धान द्वारा तर्पण का उल्लेख है। आजकल भी पितरों के तर्पण में तिल का व्यवहार होता है। इसके अलावा अन्य अवसर पर भी लोग सफ़ेद या काले तिल का दान करते हैं। (चिक्की की 3 लाजवाब रेसिपीज) दान करने के अलावा भारत के इसका इस्तेमाल एक नहीं बल्कि कई रेसिपीज में किया जाता है। विदेशों कि भी कई रेसिपीज में तिल का उपयोग किया जाता है।
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