एल्युमीनियम फॉइल का उपयोग किचन में बहुत ज्यादा किया जाता है। फिर चाहे खाना लपेटना हो या फिर कुछ पकाना हो। यह खाद्य पदार्थों को अच्छे से पकाने, गर्म रखने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए एक आसान और सुविधाजनक तरीका माना जाता है।
हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थों को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से न केवल उनका स्वाद खराब हो सकता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। आज हम आपको उन चीजों के बारे में बताएंगे, जिन्हें कभी भी एल्युमीनियम फॉइल में नहीं पकाना चाहिए।
मछली को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। मछली में प्राकृतिक रूप से तेल और एसिड होते हैं, जो एल्युमीनियम के साथ रिएक्ट कर सकते हैं। इस रिएक्शन से मछली का स्वाद खराब हो जाता है और उसमें से एक अप्रिय धातु का स्वाद आ सकता है।
इसके अलावा, मछली के तेल और एसिड का रिएक्शन स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि ये मेटल एक्टव्स शरीर में अवशोषित हो सकते हैं। मछली को पकाने के लिए बेहतर होगा कि आप इसे स्टेमिंग, ग्रिलिंग या बेकिंग जैसे सुरक्षित तरीकों से पकाएं।
खट्टे फल जैसे नींबू, टमाटर या संतरा को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से इनका स्वाद और भी अधिक खट्टा और तीव्र हो सकता है। खट्टे फल में उच्च मात्रा में अम्ल होता है, जो एल्युमीनियम के साथ रिएक्ट करता है। इस रिएक्शन के कारण, फल से निकलने वाले अम्लीय तत्व एल्युमीनियम से संपर्क करते हैं और इससे फल का स्वाद खराब हो सकता है।
फिश की तरह इसके तत्व भी फल में प्रवेश कर लेते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, खट्टे फलों को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से बचें।
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हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, कोलार्ड ग्रीन्स और मिर्च को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से उनमें मौजूद नाइट्रेट्स और आयरन के साथ रिएक्शन हो सकता है। यह रिएक्शन उनके स्वाद को कड़वा बना सकता है।
इसके अलावा, इन सब्जियों में उपस्थित रसायन एल्युमीनियम के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों को बेहतर तरीके से पकाने के लिए इनका स्टीमिंग, उबालना या ग्रिल करना ज्यादा बढ़िया होता है।
दूध, क्रीम, पनीर या अन्य डेयर प्रोडक्ट्स को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से उनके स्वाद में बदलाव आ सकता है। जब मिल्क-बेस्ड फूड आइटम्स एल्युमीनियम के संपर्क में आते हैं, तो उनका स्वाद खट्टा या तीखा हो सकता है, क्योंकि एल्युमीनियम इन पदार्थों के साथ रिएक्ट करता है।
इसके अतिरिक्त, यह रिएक्शन दूध में पाई जाने वाली प्राकृतिक तत्वों को भी बदल सकता है। इस वजह से, दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स को पकाने के लिए स्टेनलेस स्टील या कास्ट आयरन के बर्तन का उपयोग करना बेहतर होता है, ताकि उनका स्वाद सही रहे।
पास्ता को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से उसका स्वाद और संरचना प्रभावित हो सकती है। फॉइल में पकाने से पास्ता की नमी खत्म हो जाती है और वह सूख सकता है, जिससे उसका स्वाद फीका और कठोर हो सकता है। इसके अलावा, पास्ता की सही बनावट के लिए नमी और पानी का होना आवश्यक है, जो एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से प्रभावित होता है।
पास्ता को हमेशा पहले उबालें और फिर उसे किसी सॉस या अन्य सामग्री के साथ मिलाकर पकाएं। यह उसे ज्यादा स्वादिष्ट और मुलायम बनाए रखता है।
प्याज को एल्युमीनियम फॉइल में लपेटकर पकाने से उसका स्वाद और खुशबू खराब हो सकती है। प्याज में नेचुरल शुगर होती है, जो गर्मी और एल्युमीनियम के संपर्क में आने पर कड़वापन दे सकती है। इससे प्याज का स्वाद कच्चा, खट्टा या कड़वा हो सकता है।
प्याज के रासायनिक तत्व एल्युमीनियम के साथ रिएक्ट करते हैं, जिससे उसका स्वाद बदल जाता है। इसके बजाय, प्याज को खुला या अन्य बर्तनों में पकाना अधिक अच्छा होता है, ताकि उसका स्वाद बरकरार रहे और यह अधिक स्वादिष्ट बने।
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मिर्च को एल्युमीनियम फॉइल में पकाना भी एक गलत आदत हो सकती है, क्योंकि मिर्च में मौजूद तेल और अम्लीय गुण एल्युमीनियम के साथ रिएक्ट कर सकते हैं। यह रिएक्शन मिर्च के तीखेपन को और बढ़ा सकता है और स्वाद को भी तीव्र और कड़वा बना सकता है।
मिर्च में पाई जाने वाली कैप्साइसिन (जो मिर्च के तीखेपन का कारण होती है) एल्युमीनियम के साथ मिलकर स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती है। इस वजह से, मिर्च को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से बचना चाहिए। बेहतर होगा कि मिर्च को ग्रिलिंग या अन्य सुरक्षित तरीकों से पकाएं, ताकि उसका स्वाद सही और संतुलित रहे।
इन खाद्य पदार्थों को एल्युमीनियम फॉइल में पकाने से बचें और हमेशा सही बर्तन का इस्तेमाल करें ताकि आपका खाना स्वादिष्ट और सेहतमंद रहे। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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