भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में भोजन को एक पवित्र कर्म माना जाता है। यह हमारे शरीर को ऊर्जा तो देता ही है और हमारे मन को भी पवित्र करता गई। इस कर्म को देव तुल्य माना गया है। कहा जाता है कि भोजन केवल शरीर का पोषण नहीं करता, बल्कि यह हमारी आत्मा और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। इसलिए, भोजन करने के समय से लेकर, उसके तरीकों, भोजन ग्रहण करने के बर्तनों तक, हर चीज़ का ध्यान रखने की परंपरा है। दरअसल भोजन को लेकर कई नियम बनाए गए हैं जिनका जिक्र शास्त्रों में किया गया है। जिस तरह आपको भोजन गलत समय पर नहीं करना चाहिए, वैसे ही शास्त्रों के अनुसार, टूटी हुई थाली या बर्तन में भोजन करना अशुभ और कई समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानते हैं कि शास्त्रों में ऐसा क्यों कहा गया है कि आपको कभी भी भोजन टूटे या पुराने बर्तनों में नहीं करना चाहिए।
टूटे बर्तनों में भोजन न करने के लिए शास्त्रों में क्या कहा गया है
शास्त्रों के अनुसार टूटे हुए बर्तन या थाली में भोजन करना अशुभ माना जाता है। इसे दोषपूर्ण और अपवित्र माना जाता है क्योंकि भोजन को देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है और इसे पवित्रता और सम्मान के साथ ग्रहण करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति टूटे हुए बर्तन में भोजन करता है, तो यह उस भोजन का अनादर करने जैसा होता है। ऐसा माना जाता है कि बर्तनों की स्थिति हमारे जीवन में शुभ या अशुभ प्रभाव डालती है। टूटा हुआ बर्तन न केवल भोजन के पवित्रता को प्रभावित करता है, बल्कि यह घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी कर सकता है।
शास्त्रों के अनुसार टूटे बर्तन में भोजन करना आपके घर और परिवार के लिए भी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, आपको सलाह दी जाती है कि हमेशा सही स्थिति में रखे गए बर्तनों में ही भोजन करना चाहिए। इसके अलावा, टूटे बर्तनों को जल्दी से बदल देना चाहिए ताकि घर में सकारात्मकता बनी रहे और किसी प्रकार की दुर्भाग्य का सामना न करना पड़े।
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टूटे हुए बर्तनों में भोजन करना पवित्रता का अभाव
टूटे हुए बर्तन को शास्त्रों में अपवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि टूटी हुई चीजें नकारात्मकता को आकर्षित करती हैं और घर में दरिद्रता का कारण बन सकती हैं। यदि आप भोजन को ऐसे बर्तन में ग्रहण करते हैं, जी टूटे हों या बहुत ज्यादा पुराने हो चुके हों तो यह आपके जीवन में आर्थिक और मानसिक समस्याएं ला सकते हैं। इस तरह के बर्तनों में किया गया भोजन आपको कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है और इससे आपकी सेहत को भी नुकसान हो सकते हैं।
टूटे हुए बर्तनों में भोजन करना माता लक्ष्मी का अनादर
हिंदू धर्म में भोजन को अन्नपूर्णा देवी का रूप माना जाता है इसलिए इसे अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति टूटे हुए बर्तन या थाली में भोजन करता है, तो यह अन्नपूर्णा माता का अपमान होता है। इससे घर में धन और समृद्धि का अभाव हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, जिस घर में भोजन का अनादर होता है, वहां माता लक्ष्मी का वास नहीं होता। यही कारण है कि ऐसे घर में आर्थिक संकट और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जब हम भोजन को अपवित्र बर्तनों में ग्रहण करते हैं, तो यह लक्ष्मी माता की कृपा को भी रोकता है, जिससे घर में दरिद्रता और धन की कमी हो सकती है। इसलिए शास्त्रों में यह सलाह दी जाती है कि हमें हमेशा स्वच्छ और पूर्ण रूप से सही बर्तनों का उपयोग करके भोजन करना चाहिए, ताकि माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहे और घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे। टूटे बर्तन में भोजन करने से बचने से हम न केवल अन्नपूर्णा देवी का सम्मान करते हैं, बल्कि आर्थिक समृद्धि की ओर भी कदम बढ़ाते हैं।
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टूटे हुए बर्तनों में भोजन करना नकारात्मक ऊर्जा का संचार
टूटे हुए बर्तनों में भोजन करना शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसा कहा जाता है कि टूटी हुई चीजें नकारात्मकता को आकर्षित करती हैं, जो घर के वातावरण को प्रभावित करती है। टूटे बर्तन में भोजन करने से न केवल मानसिक तनाव बढ़ सकता है, बल्कि पारिवारिक संबंधों में भी खटास आ सकती है। शास्त्रों में भोजन को देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है और इसे पवित्रता के साथ ग्रहण करना चाहिए। जब भोजन टूटे हुए बर्तन में किया जाता है, तो यह न केवल भोजन का अनादर है, बल्कि यह घर में अशुभ प्रभाव भी ला सकता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है, जो सुख-शांति और समृद्धि में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
टूटे हुए बर्तनों में भोजन न करने के वैज्ञानिक कारण
टूटे हुए बर्तन में भोजन करने के पीछे केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। टूटे हुए बर्तन में दरारों और टूटे हुए किनारों के कारण बैक्टीरिया और गंदगी आसानी से जमा हो जाती है। यह भोजन के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करके आपको बीमार कर सकती है। इसके अलावा, टूटे हुए बर्तन के तेज किनारे से आपको भोज के दौरान चोट लगने का खतरा भी रहता है। भोजन को सही तरीके से ग्रहण करने के लिए वातावरण और बर्तन दोनों को महत्वपूर्ण माना जाता है। टूटे हुए बर्तन में भोजन करने से न केवल भोजन का स्वाद खराब होता है, बल्कि मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह आपकी भूख और पाचन प्रक्रिया को भी बाधित कर सकता है। टूटे हुए बर्तन में भोजन करने से व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं। यह आपकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है और आपके आत्मविश्वास को कमजोर कर सकता है।
भोजन करने के मुख्य नियमों से से एक है टूटे हुए बर्तनों में भोजन न करना। अगर आप इस नियम का पालन करते हैं तो जीवन में सदैव खुशहली बनी रहती है। अगर आपका इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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