हमारे शास्त्रों में भोजन के अलग-अलग नियम बताए गए हैं और उनका पालन करने से सदैव खुशहाली बनी रहती है। भोजन हमेशा शांत मन से करना चाहिए। भोजन शुरू करने से पहले भोजन मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए, भोजन अच्छी तरह से चबाकर ही करना चाहिए और भोजन के समय ज्यादा बात-चीत नहीं करनी चाहिए।
ये कुछ ऐसे नियम हैं जो भोजन के बारे में हमारे शास्त्रों में लिखे हैं और मान्यता है कि यदि आप इनका पालन नहीं करते हैं तो आपको भोजन का पूर्ण लाभ नहीं मिलता है। इन्हीं में से एक नियम यह भी है कि आपको भोजन कभी भी अंधेरे में नहीं करना चाहिए। आइए आपको बताते हैं शास्त्रों में लिखी इस बात के मतलब और इसके कारणों के बारे में। इसके बारे में ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से विस्तार से जानें।
अंधेरे में भोजन करने से क्या होता है
भोजन करना केवल एक जैविक आवश्यकता नहीं है, बल्कि एक पवित्र कार्य भी है। भोजन की प्रक्रिया हमें पोषण देने के साथ शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करती है। जब हम भोजन करते हैं तो ऐसा कहा जाता है कि यह आत्मा और शरीर दोनों की तृप्ति का माध्यम होता है। इस वजह से भोजन शुरू करने से पहले पहला ग्रास गाय के लिए निकाला जाता है, जिससे एक साथ 33 करोड़ देवी-देवताओं का आहवाहन किया जाता है।
यदि हम भोजन की प्रक्रिया अंधेरे में करते हैं तो इसका शरीर और मस्तिष्क पर उल्टा असर होने लगता है, ऐसा इसलिए क्योंकि अंधेरे में कई नकारात्मक शक्तियों का निवास हो जाता है जो भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करने लगती हैं। इसी वजह से आपको कभी भी भोजन अंधेरे में नहीं करना चाहिए।
अंधेरे में भोजन के आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक विचार
शास्त्र हमेशा से ही भोजन के दौरान सचेतनता और उपस्थिति के महत्व पर जोर देते हैं। अंधेरे में भोजन करने से व्यक्ति क्या खा रहा है, इसके बारे में ठीक से पता नहीं चल पाता है। जब हम उजाले में भोजन करते हैं तो भोजन की सही गुणवत्ता का पता चलता है।
भोजन अंधेरे में करने से आपके भोजन में अगर कोई विकार है भी तो वो पता नहीं चल पाता है। प्रकाश में भोजन करते समय आपको भोजन के स्वाद से लेकर रंग-रूप का भी पता चलता है। जिससे आपको इस बात का पता चलता है कि जो भोजन आप कर रहे हैं वो आपके अनुकूल है या नहीं।
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अंधेरे में भोजन करने से सजगता और एकाग्रता नहीं बनती है
शास्त्रों के अनुसार, भोजन करते समय सजगता और एकाग्रता बनाए रखना आवश्यक है। अंधेरे में भोजन करने से व्यक्ति अपने खाने के प्रति ज्यादा सजग नहीं रह पाता है जिससे मन और शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है। प्रकाश में भोजन करने से व्यक्ति खाने के रंग, रूप और गुणवत्ता के प्रति सजग रहता है, जिससे मन और शरीर दोनों को शांति और संतुष्टि मिलती है।
अंधेरे में भोजन न करने का आयुर्वेदिक कारण
आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार, भोजन केवल भौतिक पदार्थ नहीं है बल्कि इसमें प्राण या जीवन शक्ति भी होती है। अच्छी रोशनी वाले वातावरण में भोजन करने से यह सुनिश्चित होता है कि उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
प्रकाश अक्सर सकारात्मक ऊर्जा, पवित्रता और स्पष्टता से जुड़ा होता है, जबकि अंधेरा अज्ञानता और नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। अच्छी रोशनी वाली जगह पर खाना खाने से भोजन की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यह शरीर और दिमाग दोनों को पोषण देता है।
अंधेरे में भोजन न करने के वैज्ञानिक कारण
अंधेरे में भोजन करने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण खतरा यह है कि अंधेरे में खाने से कीड़े-मकोड़े या अन्य अवांछित तत्व आपके भोजन में अनजाने में प्रवेश कर सकते हैं। इन्हें देखकर पहचानना मुश्किल होता है, जिससे वे आपके शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं। इससे आपको पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, भोजन में मौजूद कीड़े-मकोड़े या अन्य हानिकारक तत्वों के कारण फूड पॉइजनिंग का खतरा भी बढ़ जाता है। फूड पॉइजनिंग से भी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
अंधेरे में भोजन करने का एक और बड़ा नुकसान यह है कि आप अपने भोजन की स्वच्छता की सही तरीके से जांच नहीं कर पाते हैं। इन्हीं कारणों से अंधेरे में भोजन न करने की सलाह दी जाती है।
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