अपने खूबसूरत डिज़ाइन और हाथों के सौंदर्य में चार चांद लगाने वाले आभूषण के रूप में जानी जाने वाली चूड़ियां वास्तव में कुछ ख़ास होती हैं। किसी भी शुभ अवसर पर पहनी जाने वाली चूड़ियां दुल्हन के सोलह श्रृंगार में से एक मानी जाती हैं।
यूं कहा जाए कि इन चूड़ियों के बिना श्रृंगार अधूरा होता है। जहां आप किसी भी पोशाक से मैच करती हुई चूड़ियों से अपने स्टाइल में रंग जोड़ती हैं, वहीं ज्योतिष में भी इनका विशेष महत्व होता है।
परंपरागत रूप से, केवल विवाहित महिलाएं ही अपने रोजमर्रा के परिधानों के साथ इस शृंगार की सामग्री को जोड़ती थीं, लेकिन आजकल ये किसी भी लड़की के सौंदर्य का हिस्सा बन चुकी हैं। हालांकि जब बात कांच की चूड़ियों की आती है तो इसे विवाहित महिलाओं के लिए एक अनिवार्य श्रृंगार के रूप में देखा जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें कि कांच की चूड़ियों का महत्व क्या है और इसे सुहाग की एक निशानी क्यों माना जाता है।
चूड़ियों का वैवाहिक महत्व
विवाहित महिलाओं के लिए चूड़ियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। प्राचीन समय से ही नवविवाहिता के हाथों को कांच और सोने की चूड़ी से सजाया जाता रहा है और इसे पहनना एक रस्म के रूप में माना जाता है। ऐसे ही शादी के मंडप में दुल्हन के चढ़ावे में सोलह श्रृंगार में कांच की चूड़ियों को जरूर शामिल किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि आप भले ही देश के किसी भी हिस्से से क्यों न हों, आपके लिए शादी के बाद कांच की चूड़ियां पहनना जरूरी है। यह रस्म इसलिए भीआवश्यक है क्योंकि यह विवाह में सुरक्षा, प्रेम और भाग्य का प्रतीक मानी जाती है। चूड़ियां एक विवाहित स्त्री को सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
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कांच की चूड़ियों का ज्योतिष महत्व
वैसे तो हमारे देश में विवाहित और अविवाहित दोनों स्त्रियां चूड़ियां पहनती हैं, लेकिन जब बात विवाहित महिलाओं की आती है तब कांच की चूड़ियों को विशेष रूप से अनिवार्य माना जाता है।
ज्योतिष में मान्यता है कि यदि विवाहित स्त्रियां कांच की चूड़ियां पहनती हैं तो सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है और चूड़ियां न पहनने वाली स्त्रियों के आस-पास नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
मान्यता यह भी है कि कांच की चूड़ियां पहनना पति की सेहत के लिए अच्छा होता है। कांच की चूड़ियों को सुहागिन स्त्रियों के सुहाग की निशानी की तरह देखा जा सकता है। कांच की चूड़ियां पहनने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही तरह के महत्व हैं।
चूंकि चूड़ियां गोलाकार होती हैं इसलिए सुहागिन महिलाएं जब इसे पहनती हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह शरीर के भीतर ही होता है और शरीर से बाहर यह ऊर्जा नहीं निकल पाती है।
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चूड़ियों का कंपन किस बात का प्रतीक है
चूड़ियों से होने वाला कंपन भावनाओं को नियंत्रित करने और सकारात्मकता उत्पन्न करने में मदद करता है। ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं चूड़ियां नहीं पहनतीं हैं वो नकारात्मक ऊर्जा को न्योता देती हैं।
चूड़ियां जब आपस में टकराती हैं तो इनसे निकलने वाला कम्पन और ध्वनि सकारात्मकता को बढ़ावा देता है और यह आपके घर के लिए बहुत शुभ माना जाता है। चूड़ियां पहनते समय इनकी संख्या का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी माना जाता है।
विभिन्न रंगों की कांच की चूड़ियों का महत्व
- लाल रंग की चूड़ियों को विशेष रूप से ऊर्जा का प्रतीक माना होता है और यदि आप इसे धारण करती हैं तो ये शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
- हरी कांच की चूड़ियों सौभाग्य और समृद्धि का संकेत माना जाता है। यदि विवाहित स्त्री इस रंग की चूड़ियां हाथों में पहनती हैं तो उनके घर का सौभाग्य बना रहता है और घर की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
- पीली कांच की चूड़ियां ख़ुशी का प्रतीक होती हैं। यदि कोई शादीशुदा स्त्री इन चूड़ियों को पहनती है तो वो अपने आस-पास खुशहाली बिखेरती है और इससे समृद्धि के संकेत मिलते हैं।
- नारंगी कांच की चूड़ियों को सफलता का प्रतीक माना जाता है। इसे पहनने वाली स्त्रियों को जीवन में सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
अगर आप हाथों में कांच की चूड़ियां पहनती हैं तो ये कई रूपों में आपके लिए लाभदायक हो सकती है।अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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