why lord jagannath has no eyelids know interesting facts

भगवान जगन्नाथ की पलकें क्यों नहीं है? जानकर दंग रह जाएंगी आप

जगत के नाथ यानी कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा अब जल्द ही आरंभ होने जा रही है। अब ऐसे में क्या आपने कभी गौर किया है कि भगवान जगन्नाथ की पलके नहीं है। आइए इस लेख में विस्तार से भगवान जगन्नाथ की पलकों के बारे में जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-06-17, 17:07 IST

भगवान जगन्नाथ का स्वरूप ही सबसे पहले ध्यान आकर्षित करता है। उनकी विशाल, गोल आँखें जो दूर तक निहारती प्रतीत होती हैं, और बिना हाथों का धड़ और यह एक ऐसा रहस्य है जो सदियों से भक्तों और विद्वानों को आकर्षित करता रहा है। अन्य देवी-देवताओं की भांति पूर्ण मानव आकृति में न होना, उनके लोकदेवता होने की भावना को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। इतना ही नहीं, भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद केवल भोजन नहीं, बल्कि 'अन्न ब्रह्म' का साक्षात रूप है। यहां माना जाता है कि महाप्रसाद स्वयं देवी लक्ष्मी की देखरेख में बनता है और इसे ग्रहण करने से सभी पापों का नाश होता है। अब ऐसे में क्या आपने कभी अगर उनके आंखों पर गौर किया होगा तो देखा होगा कि जगन्नाथ जी की पलकें नहीं है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से भगवान जगन्नाथ की पलकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

भगवान जगन्नाथ की पलकें न होने का रहस्य

LORD-JAGANNATH-JI

हिंदू धर्म और विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो भक्तों को आश्चर्यचकित करती हैं। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं अधूरी और अनोखी दिखती हैं, और उनकी पलकें न होना भी इन्हीं रहस्यों में से एक है। आपको बता दें, लोककथाओं और मान्यताओं के आधार पर कुछ संभावित कारण बताए जाते हैं। मान्यता यह है कि भगवान अपनी सृष्टि पर लगातार और बिना किसी बाधा के अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं। पलकों का न होना उनकी इसी अविराम दृष्टि का प्रतीक हो सकता है, जिससे वे हर पल अपने भक्तों और जगत की निगरानी कर सकें। उनकी आंखें हमेशा खुली रहती है।

इसे जरूर पढ़ें -  रथ यात्रा के दौरान अपने घर पर कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा, जान लें सभी नियम

भगवान जगन्नाथ ने स्वयं स्वप्न में यह इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी आंखों पर पलकें न हों। वे हमेशा जागते रहना चाहते हैं ताकि अपने भक्तों पर हर पल अपनी कृपा दृष्टि बनाए रख सकें और उनकी हर जरूरत का ध्यान रख सकें। इसी कारण उनका नाम 'जगन्नाथ' पड़ा, जिसका अर्थ है 'जगत के नाथ' या 'संसार के स्वामी'। कुछ मान्यताओं के अनुसार, ऐसा भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण जब रोहिणी मैया से गोपियों के प्रेम प्रसंग सुन रहे थे, तो वे इतने भाव-विभोर हो गए कि उनके नेत्र फैल गए, हाथ-पैर सिकुड़ गए और शरीर जड़ हो गया। यह दिव्य रूप भगवान के असीम प्रेम और भावों की गहराई को दर्शाता है, जिसमें पलकें बाधा नहीं बनतीं। जगन्नाथ का यह स्वरूप उसी परमलीला का प्रतीक माना जाता है।

इसे जरूर पढ़ें - भगवान जगन्नाथ की आंखें बड़ी क्यों है?

भगवान जगन्नाथ करते हैं सृष्टि की रक्षा

Jagannath-Temple-3

भगवान जगन्नाथ सृष्टि के कण-कण को देखते हैं, हर जीव की प्रार्थना सुनते हैं और हर घटना के साक्षी हैं। उनकी ये आंखें भक्तों को यह विश्वास दिलाती हैं कि भगवान हर पल उनके साथ हैं और उनकी रक्षा कर रहे हैं। इसलिए उन्हें जगत का नाथ कहा जाता है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- HerZindagi

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

;