भगवान जगन्नाथ की आंखें बड़ी क्यों है?

जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को देखने के बाद मन में एक सवाल आता है कि भगवान जगन्नाथ की आखें इतनी बड़ी क्यों है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 

Why lord Jagannath has big eyes

(why lord jagannath has big eyes) भारत में कई प्रकार के मंदिर है। जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित है। इनकी विधिवत पूजा-पाठ करने का भी महत्व बताया गया है। हर मंदिर में जितने भी भगवान की प्रतिमा या तस्वीर है। सभी में भगवान का चेहरा उनके मानव रूप के अनुसार ही दिखाया गया है, लेकिन आपने भगवान जगन्नाथ जी की आंखें देखी होगी। जो सबसे अनोखी है। इतना ही नहीं यह अपने आप में रहस्यमयी है। भगवान जगन्नाथ श्री कृष्ण के ही रूप है। अब ऐसे में इनकी आंखें इतनी बड़ी क्यों है। इसके बारे में जानने की उत्सुकता होती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

भगवान जगन्नाथ जी की आंखों का रहस्य

Jagannath Yatra Time And Date

भगवान जगन्नाथ जी की बड़ी आंखें ज्ञान, करुणा और दया का प्रतीक मानी जाती हैं। भगवान जगन्नाथ की बड़ी आंखें दर्शाती हैं कि वे अपने भक्तों को सब कुछ देखते हैं और उनकी हर जरूरत का ध्यान रखते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि भगवान जगन्नाथ की बड़ी आंखें ब्रह्मांड की विशालता का प्रतीक हैं। वे भूत, वर्तमान और भविष्य सब कुछ देखते हैं और जानते हैं।

भगवान जगन्नाथ जी की पौराणिक कथा क्या है?

एक कथा के अनुसार, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा समुद्र तट पर विहार कर रहे थे, तब रावण ने उनका अपहरण करने का प्रयास किया। भगवान विष्णु ने रावण को रोकने के लिए अपना विशाल रूप धारण किया, जिससे सुभद्रा घबरा गयीं और उनकी आंखें फैल गयीं। जगन्नाथ जी ने उन्हें शांत करने के लिए अपनी भी आंखें बड़ी कर लीं।

एक अन्य कथा में कहा जाता है कि जब भगवान जगन्नाथ इंद्रद्युम्न नामक राजा के राज्य में गए थे, तब वहां के लोग उनकी भव्यता देखकर दंग रह गए थे। उनकी आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गयीं। भगवान जगन्नाथ ने उनकी भक्ति को स्वीकार करते हुए अपनी आंखें भी बड़ी कर लीं।

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दूसरी कथा में ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की आंखे बड़ी होने के पीछे एक रोचक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में वास कर लिया था, तो वृंदावन से नंद बाबा, यशोदा माता और रोहिणी मां उनसे मिलने आए थे। द्वारकावासी भगवान श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानते थे, जबकि वृंदावनवासी उन्हें अपना प्रेमी मानते थे। द्वारका में एक दिन रोहिणी माता द्वारकावासियों को भगवान श्रीकृष्ण के वृंदावन में की गई रासलीला, सुना रही थी। इस दौरान उन्होने भगवान कृष्ण की बहन सुभद्र को द्वार पर जाकर खड़े रहने को कहा। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला सुन द्वारकावासी उनकी कथाओं में डूबे हुए थे। वहीं दूसरी ओर सुभद्र दरवाजे पर उदास खड़ी थी। उन्हें उदास देखकर दोनों भाई बलराम और श्री कृष्ण भी उनके दाएं और बाएं ओर आकर खड़े हो गए। जहां से वो भी रोहिणी माता द्वारा भगवान कृष्ण के बचपन की कथाएं छुपके से सुनने लगे। भगवान श्रीकृष्ण की अनोखी कथाएं सुनकर तीनों हैरान रह गए। जिसके कारण उनकी आंखें पूरी तरह खुली की खुली रह गई।

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भगवान जगन्नाथ जी की प्रतिमा किससे बनी है?

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भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा लकड़ी से बनी हैं और इन्हें हर 12 साल में नया बनाया जाता है। भक्तों का मानना है कि भगवान जगन्नाथ की बड़ी आंखें नेत्र रोगों से पीड़ित लोगों के लिए आशीर्वाद का प्रतीक हैं।

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Image Credit- herzindagi.com

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