भगवान शिव जिन्हें सनातन संस्कृति में देवों के देव महादेव कहा जाता है। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, गंगाधर जैसे अनंत नामों से जाना जाता है। वहीं साधना करने वाले भगवान शिव को भैरव बाबा भी कहा जाता है।
भगवान शिव जितने सौम्य हैं, वह उतने ही रौद्र भी माने जाते हैं। भगवान शिव को त्रिदेवों में संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव को सुर और असुर दोनों के सबसे प्रिय हैं।
कई राक्षसों ने अपने तप से भगवान शिव को प्रसन्न मनचाहा वरदान भी पाया है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव की पूजा करने के दौरान दोनों हाथ ऊपर क्यों उठाए जाते हैं। आखिर इसका महत्व क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि हर हर महादेव बोलने के दौरान हाथ ऊपर क्यों उठाते हैं।
स्वयं को समर्पित करना
अक्सर आपने देखा होगा कि भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) की पूजा करने के दौरान व्यक्ति अपने दोनों हाथ खड़े कर लेता है। इसका मतलब यह है कि वह अपने आप को भगवान के प्रति समर्पित करना चाहता है। वह चाहता है कि भगवान उसके सारे दुख, कष्ट हर लें और उसे मोक्ष का वरदान दें। यह भाव भक्त के अंतरात्मा में स्वयं आता है।
सभी संकटों से मिलती है मुक्ति
पूजा में दोनों हाथों को खड़े करना व्यक्ति को आत्मकेंद्रित और जीवन में बैलेंस बनाने को भी दर्शाता है। इससे व्यक्ति को कभी किसी भी तरह की परेशानी नहीं आती है और उसका मन भी शांत रहता है। इससे हमारे इंद्रियां हमारे वश में होती हैं।
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हर हर महादेव बोलना चैतन्य शक्ति को करता है जागृत
हर का आश्य नाश करने वाला है। हर शब्द का अन्य अर्थ दूर करने वाला भी है। इसका आश्य यह है कि हे प्रभु! मुझे सभी दोषों से हर लें और नया जीवन दें। इसका आशय यह भी है कि मुझे अपनी शरण में ले लें। अब दोनों हाथों को उठाकर 'हर हर महादेव' का मतलब यह कि सबकुछ छोड़कर भगवान की शरण में जाना भी सबसे श्रेष्ठ है।
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आत्मा को मिलती है शांति
भगवान की पूजा करने के दौरान दोनों हाथों को ऊपर उठाना, यह भक्ति भाव को दर्शाता है। इससे व्यक्ति की सभी परेशानियां और सभी नकारात्मकता (नकारात्मकता ऊर्जा दूर करने के उपाय) दूर हो जाती है और आत्मा को शांति भी मिलती है। भक्त भगवान की भक्ति में पूरी तरह से लीन रहती है और उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
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