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कौन थे ऋषि दुर्वासा? जिनके श्राप से देव-असुर सभी थे भयभीत, जानें क्या है भगवान शिव से उनका संबंध

ऋषि दुर्वासा माता अनुसूया और ऋषि अत्रि के पुत्र थे। इनके संदर्भ में यह कहा जाता है कि ऋषि दुर्वासा और भगवान शिव का एक खास संबंध था। चलिए जानते हैं शिव जी से दुर्वासा का क्या संबंध है? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-05-30, 17:49 IST

दुर्वासा ऋषि माता अनुसूया और अत्रि मुनि के पुत्र थे। दुर्वासा ऋषि के लिए कहा जाता है कि ये सतयुग, द्वापर और त्रेता इन तीनों ही युगों में थे। ऋषि दुर्वासा अत्यंत बुद्धिजीवी मुनी थे, जिन्होंने कई सारी ऋचाओं की रचना की थी। अपने रचनाओं और कार्यों से ज्यादा ऋषि दुर्वासा अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे। यह एक मात्र ऐसे ऋषि से जिनके क्रोध और श्राप से देव, असुर और उस युग के मनुष्य सभी डरते थे। इसके अलावा ऋषि दुर्वासा और भगवान शिव का खास संबंध है और इनकी उत्पत्ति क्रोध के कारण हुई थी। ऐसे में चलिए जानते हैं ऋषि की उत्पत्ति और भगवान शिव के साथ इनके संबंध के बारे में...

दुर्वासा ऋषि की उत्पत्ति कैसे हुई थी

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पौराणिक रचनाओं और कथाओं के अनुसार, एक समय जब माता पार्वती भगवान शिव के साथ एकांत में समय व्यतीत कर रही थीं, तभी अचानक से सभी देवता आकर माता पार्वतीऔर भगवान शिव के एकांतवास में बाधा डाल देते हैं। एकांतवास के बीच में देवताओं के आने से भगवान शिव बहुत क्रोधित हो जाते हैं। भगवान भोलेनाथ के क्रोध को देखकर सभी देवता डर जाते हैं। डर के मारे देवता कैलाश से चले जाते हैं, लेकिन भगवान शिव का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। 

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माता पार्वती उनके गुस्से को शांत करने के लिए खूब प्रयत्न किया, जिसके बाद शिव जी का क्रोध तो शांत हो गया, लेकिन उनके क्रोध से उत्पन्न ऊर्जा कैलाश में इधर-उधर घूम रही थी, जो कैलाश पर्वत को नुकसान पहुंचा रही थी। जिस पर भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि वह उस ऊर्जा को दोबारा अपने अंदर नहीं समा सकते हैं, क्योंकि यह ऊर्जा भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकली थी। यदि उनका तीसरा नेत्र फिर से खुला तो इस बार इस सृष्टि को और ज्यादा नुकसान होगा। 

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कथा के अनुसार कुछ समय बाद माता अनुसूया भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत जाती हैं। माता अनुसूया भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के बात को सुन शिव जी से आज्ञा मांगी कि क्या वह तपोबल से भगवान शिव के क्रोध की ऊर्जा को अपने गर्भ में धारण कर सकती है? इस पर भगवान शिव और माता पार्वती ने अनुसूया को आज्ञा दी, जिसके बाद माता अनुसूया ने अपने गर्भ में भगवान शिव के क्रोध को धारण किया। बाद में भगवान शिव के इस क्रोध की ऊर्जा से ऋषि दुर्वासा का जन्म होता है। भगवान शिव के क्रोध की ऊर्जा से जन्म होने के कारण दुर्वासा ऋषि बहुत क्रोधी स्वभाव के थे।

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Image Credit: Hot star,and SK Chakraborty on X

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