कौन हैं मां धूमावती और सुहागिन महिलाओं को क्यों नहीं करनी चाहिए इनकी पूजा?

धूमावती जयंती के अवसर पर पार्वती माता के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। ऐसे में क्या आपको पता है कि धूमावती माता कौन हैं और उनकी पूजा सुहागिनों को क्यों नहीं करनी चाहिए।

 
Why did Parvati become Dhumavati

हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मां धूमावती की जयंती मनाई जाती है। धूमावती माता को आदिशक्ति की स्वरूप और 10 महाविद्या में से सातवीं महाविद्या माना गया है। इस साल धूमावती जयंती शुक्रवार के दिन 14 जून को मनाया जाएगा। इनकी पूजा शत्रुओं पर विजय पाने, दरिद्रता, दुख, दर्द, कष्ट और रोग की मुक्ति के लिए धूमावती माता की पूजा की जाती है। बता दें कि धूमावती माता की पूजा सुहागिन महिलाएं नहीं करती हैं, चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह और धूमावती माता के बारे में जानते हैं हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक से विस्तार से।

सुहागिनों को क्यों नहीं करना चाहिए धूमावती मां की पूजा?

who is dhumavati mata

शिवम पाठक जी ने बताया कि धूमावती माता को पार्वती माता का रूप माना गया है। सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं पार्विती माता की पूजा करती हैं। बता दें कि धूमावती माता की पूजा सुहागिन महिलाओं को नहीं करना चाहिए, सुहागिन महिलाएं दूर से दर्शन कर सकती हैं, इसमें कोई दोष नहीं है। धूमावती माता विधवा स्त्री के रूप में हैं और इन्हें वैधव्य का प्रतीक माना गया है। सुहागिन महिलाओं के सुहाग पर वैधव्य का प्रभाव न पड़े, इसलिए सुहागिन महिलाएं धूमावती माता की पूजा नहीं करती हैं। धूमावती माता सफेद साड़ी पहनी हुईं हैं और इनके रथ में कौवे विराजित हैं, माता के बाल खुले हुए हैं और उन्होंने श्रृंगार नहीं किया हुआ है, जिसे सुहागिन महिला के लिए अशुभ माना गया है।

कौन हैं धूमावती माता?

why married women should not worship of dhumavati mata

पार्वती मां के धूमावती माता या विधवा रूप धारण करने के पीछे कई सारी कथाएं हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार मां पार्वती को बहुत भूख लग रही थी। उनकी भूख बढ़ते गई और जब मां भूख सह न सकी तो वह शिव जी के पास गयी और उनसे भोजन मांगा। तपस्या में लीन पार्वती मां के बहुत पुकारने के बाद जब नहीं सुने तो माता भूख के मारे उन्हें खा गई। शिव जी को खाते ही मां पार्वती की भूख शांत हो गई। मां की भूख तो शांत हुई लेकिन वह विधवा हो गई। भगवान शिव के बिना पार्वती मां विधवा रूप में नजर आने लगी। देवताओं और भक्तों ने मां पार्वती के इस रूप को धूमावती कहा।

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Image Credit: Freepik, amazon, (Instagram-saitharunvs)

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