घर में लड्डू गोपाल की पूजा पूरे नियम से करने की प्रथा है। हम उनकी सेवा एक छोटे बच्चे की तरह करते हैं। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक लड्डू गोपाल की पूजा और सेवा के अलग नियम बनाए गए हैं। लड्डू गोपाल की पूजा एक परंपरा है।
भक्तजन अक्सर भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप लड्डू गोपाल को सुंदर कपड़े पहनाते हैं, उन्हें त्योहारों या किसी विशेष अवसर पर नए वस्त्र पहनाने की प्रथा भी है। हम नियमित रूप से भी उनके वस्त्रों को बदलते हैं और साफ कपड़े पहनाते हैं।
वहीं कई बार हमारे मन में ये सवाल भी उठता है कि क्या लड्डू गोपाल को पुराने वस्त्र पहनाने चाहिए? क्या फटे हुए वस्त्रों को सिलकर पहनाना ठीक है? क्या पुराने वस्त्रों को किसी पवित्र पेड़ के पास रखना ठीक है? ऐसे न जाने कितने सवाल हमारे मन में लड्डू गोपाल के वस्त्रों को लेकर आते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों का क्या करना चाहिए?
लड्डू गोपाल के वस्त्रों का महत्व
लड्डू गोपाल को भगवान कृष्ण के बाल रूप में देखा जाता है और उन्हें साफ-सुथरे वस्त्रों से सजाना और उनकी सेवा करना भक्ति का कार्य माना जाता है। उनकी पूजा बाल देवता के रूप में की जाती है और जिस प्रकार हम अपने बच्चों को साफ-सुथरे तरीके से रखते हैं वैसे ही उन्हें भी रखने की सलाह दी जाती है।
ऐसी मान्यता है कि ये कपड़े केवल वस्त्र ही नहीं होते हैं बल्कि घर में दैवीय उपस्थिति का प्रतीक भी माने जाते हैं। लड्डू गोपाल के वस्त्रों पर हमेशा ईश्वर का आशीर्वाद जुड़ा होता है। इसलिए उन वस्त्रों को अत्यधिक देखभाल और सम्मान के साथ संभाला जाना चाहिए।
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क्या लड्डू गोपाल के फटे वस्त्रों को सिलकर दोबारा इस्तेमाल करना चाहिए?
आमतौर पर हम नियमित रूप से लड्डू गोपाल को स्नान कराते हैं और उनका श्रृंगार करने के साथ उन्हें नए या साफ वस्त्र पहनाते हैं। रोज नए वस्त्र पहनाना आम लोगों के लिए संभव नहीं है, इसलिए हममें से ज्यादातर लोग पुराने वस्त्रों को धोने के बाद पहनाते हैं।
वहीं कई बार यदि लड्डू गोपाल के वस्त्र कहीं से फट जाते हैं तो उन्हें दोबारा सिलकर या उनके मोतियों या गोटे को दोबारा सिलकर इस्तेमाल कर लेते हैं। हालांकि यदि हम ज्योतिष की मानें तो यदि लड्डू गोपाल के वस्त्र कहीं से फट जाएं तो उन्हें दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए, क्योंकि वो वस्त्र खंडित माने जाते हैं और खंडित मूर्ति की पूजा की भी मनाही होती है। साथ ही, भगवान की किसी भी मूर्ति को खंडित वस्त्र न पहनाने की सलाह दी जाती है।
लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों का क्या करना चाहिए?
लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों को आपको सम्मानपूर्वक जमीन के नीचे गाड़ देना चाहिए। इसके लिए आपको किसी ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां बहुत से लोगों का आना-जाना न होता हो। वस्त्रों की जमीन के नीचे कम एक कम एक फिट की गहराई में गाड़ देना चाहिए।
आप उसके ऊपर कोई पौधा लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों को सहेजने का सबसे अच्छी तरीका यही है और इससे उनका आशीष भी बना रहता है और कोई नकारत्मक प्रभाव नहीं होता है।
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क्या लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों को जल में विसर्जित कर सकते हैं?
ऐसे तो आप लड्डू गोपाल के वस्त्रों को किसी पवित्र नदी में विसर्जित भी कर सकते हैं, लेकिन जल में विसर्जित करने से नदी का जल अपवित्र हो सकता है। इसके अलावा ऐसा जरूरी नहीं है कि हमेशा आपको कोई साफ जल का स्रोत घर के आस-पास मिल जाए। इसी वजह से वस्त्रों को जल में विसर्जित करने से बचना चाहिए।
इसके अलावा यदि आप पुराने वस्त्रों को किसी पेड़ के नीचे रखते हैं तो वो भी आपके लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि पेड़ के पास से वस्त्र उड़कर किसी ऐसी जगह पर भी जा सकते हैं जहां साफ-सफाई न हो और जहां किसी का पैर भी लग सकता है। ऐसा करने से लड्डू गोपाल का अपमान होता है, इसलिए ऐसा करने से भी बचना चाहिए।
लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों को सजावट में कर सकते हैं इस्तेमाल
लड्डू गोपाल के पुराने वस्त्रों का उपयोग आप घर की सजावट के लिए कर सकती हैं। यदि ये वस्त्र पुराने हो गए हैं, तो इन्हें फेंकने की बजाय आप इन्हें घर या मंदिर की सजावट में इस्तेमाल कर सकती हैं। लड्डू गोपाल के वस्त्र अक्सर बहुत खूबसूरत और रंगीन होते हैं, जिनमें आकर्षक डिजाइन और मोतियों की कढ़ाई होती है।
ऐसे वस्त्रों का पुनः किसी जगह उपयोग करना एक अच्छा विकल्प है। इन पुराने वस्त्रों को आप घर के मंदिर में विभिन्न रूपों में उपयोग कर सकती हैं। आप इन्हें मंदिर के छोटे पर्दों के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इनसे आप पूजा की थाली की सजावट भी कर सकती हैं। आप इन वस्त्रों से वॉल हैंगिंग भी बना सकती हैं। जैसे आप इन्हें सुंदर और आकर्षक ढंग से फ्रेम में लगाकर दीवार पर टांग सकती हैं।
यदि लड्डू गोपाल के वस्त्र पुराने हो जाते हैं तो आपको उन्हें फेंकना नहीं चाहिए, बल्कि उन वस्त्रों का सम्मान पूर्वक विसर्जन करना चाहिए।
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