रुद्राभिषेक और जलाभिषेक में क्या होता है अंतर? पंडित जी से जानें इसका अर्थ और महत्व

भगवान शिव करना सबसे ज्यादा आसान होता है। इसलिए अक्सर ऐसा कहा जाता है कि भोले तो एक लोटे पानी से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन उनका आशीर्वाद पाने के लिए कई सारे लोग रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करवाते हैं। लेकिन क्या आप इन दोनों में अंतर जानते हैं। आइए आर्टिकल में पंडित जी ने इन दोनों के अंतर को किस तरह से बताया।
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सावन का महीना चल रहा है। इस महीने में हर कोई महादेव की पूजा में लीन दिखाई देता है। कई सारे लोग तो अपने घर में रुद्राभिषेक और मंदिर में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यही महीना होता है जब भगवान शिव अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राभिषेक और जलाभिषेक दोनों अलग होते हैं। साथ ही, इनके करने का तरीका भी बिल्कुल अलग होता है। इसकी जानकारी हमने पंडित जन्मेश द्विवेदी जी ने शेयर की। इसी के साथ उन्होंने दोनों की महत्वता के बारे में भी बताया। आर्टिकल में आपको भी रुद्राभिषेक और जलाभिषेक में अंतर बताते हैं, ताकि आप भी इसका मतलब जान सके।

रुद्राभिषेक क्या होता है?

रुद्राभिषेक एक विशेष प्रक्रिया होती है, जो कई सारे मंत्रोचरण के साथ की जाती है। इसमें रुद्र सूक्त का पाठ किया जाता है। इसे हमेशा पंडित जी के द्वारा किया जाता है। बिना पंडित जी के इसे पूरा नहीं किया जाता है। इसमें दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बेलपत्र, चंदन, भस्म, सफेद फूल आदि का उपयोग होता है। इन सभी को सही क्रम में शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है, ताकि इसका फल आपको मिल सके। इसे अक्सर कई सारे लोग करवाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह काफी फलदायी होता है। इसे करवाने से ग्रह शांति होती है। साथ ही, आपके जीवन में किसी भी कार्य में अगर रुकावटे आ रही हैं, तो इसे कम करने के लिए इसे किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पूजा को भगवान शिव के रुद्र रुप का पूजन किया जाता है। इसलिए इसके मंत्रों का उच्चारण भी अलग तरह से किया जाता है।

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क्या होता है जलाभिषेक?

जलाभिषेक का अर्थ है सिर्फ भगवान शिव को एक लोटा पानी चढ़ाना होता है। इसे साधारण तरीके से किया जाता है। कई सारे लोग जलाभिषेक करने के लिए गंगाजल, दूध, शहद या काले तिल डालते हैं। अक्सर लोग मंदिर में जाकर जलाभिषेक करते हैं और भगवान शिव से अपने जीवन में होने वाले नए बदलाव की कामना करते हैं। इसे भक्त स्वंय भी कर सकता है। इसमें किसी तरह की सामग्री या पंडित की जरूरत नहीं पड़ती है। साथ ही, जलाभिषेक करने में समय भी नहीं लगता है। आप इसे मन की शांति, शुद्धता और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए कर सकते हैं।

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जलाभिषेक और रुद्राभिषेक दोनों ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के प्रभावशाली साधन हैं। इन दोनों विधियों की अपनी-अपनी विशेषता और महत्व है। श्रद्धा और विश्वास से किया गया कोई भी अभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करता है। आप भगवान शिव के भक्त हैं तो इसकी महत्वता अच्छे से जानते हैं। आप इसे अपनी सुख शांति के लिए कर सकते हैं।

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