11 जुलाई, शुक्रवार से पवित्र सावन का महीना शुरू होने वाला है। सावन आरंभ होने से कावड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। कावड़ यात्रा के दौरान कावड़िये पवित्र स्थानों से भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए पवित्र गंगाजल लेकर आएंगे। ऐसा माना जाता है कि कावड़ यात्रा करने से भगवान शिव का सानिध्य प्राप्त होता है और व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष मिल जाता है। कावड़ यात्रा के जितने लाभ हैं उतने ही कड़े इसके नियम भी हैं।
हालांकि, आज के समय में बहुत कम ही लोग हैं जो कावड़ यात्रा को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से करते हैं, लेकिन जो भी व्यक्ति कावड़ यात्रा करने की सोच रहा है या कावड़ यात्रा करता है उसे इन नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि कावड़ यात्रा का सबसे बड़ा नियम यही है कि कावड़िये हर जगह से शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए जल नहीं ला सकते हैं। शास्त्रों में कुछ विशेष स्थान बताए गए हैं, सिर्फ वहीं से कावड़ यात्रा करते हुए शिवलिंग के गंगाजल लाना चाहिए।
हरिद्वार गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ 'हरि का द्वार' है, जिसका अर्थ है भगवान विष्णु का प्रवेश द्वार। गंगा नदी को यहां 'हर की पौड़ी' घाट पर सबसे पवित्र माना जाता है। कावड़ यात्री बड़ी संख्या में हरिद्वार से गंगाजल उठाते हैं क्योंकि यह गंगा का मैदानी क्षेत्र में पहला पड़ाव है और यहां जल आसानी से उपलब्ध होता है।
गोमुखी और गंगोत्री गंगा नदी के उद्गम स्थल के पास के क्षेत्र हैं, जो उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इन स्थानों से जल लाना अधिक कठिन होता है क्योंकि यहां तक पहुंचना दुर्गम है। हालांकि, जो भक्त अत्यधिक भक्ति और तपस्या में विश्वास रखते हैं, वे यहां से जल लाने का प्रयास करते हैं। इन स्थानों से लाया गया जल बहुत शुद्ध और पवित्र माना जाता है क्योंकि यह गंगा का मूल स्रोत है।
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गुजरात में स्थित सोमनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और अरब सागर के तट पर स्थित है। यहां से जल लाना उन भक्तों के लिए विशेष होता है जो पश्चिमी भारत से आते हैं और इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन भी करना चाहते हैं। ऐसा माना जाता है इस स्थान से लाया हुआ जल अमृत समान है और भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए इस जल का प्रयोग का करने से व्यक्ति के रोग दोष दूर होते हैं।
त्रिवेणी संगम जो प्रयाग राज में मौजूद है, गंगा-यमुना और सरस्वती नदियों का एकाकी घाट माना जाता है। ऐसे में सावन के दौरान कावड़ यात्रा करते हुए शिवलिंग जलाभिषेक के लिए त्रिवेणी से जल लाना भी बहुत शुभ माना जाता है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि कावड़ यात्रा के दौरान त्रिवेणी से जल भरकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और पुण्य बढ़ते हैं।
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