image

मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार लाया जाता है कांवड़, जानें यहां

 कांवड़ सावन के महीने में लाया जाता है। इसमें कुछ ऐसे पवित्र स्थान हैं, जहां से भोलेनाथ पर चढ़ाने के लिए जल को लाया जाता है। कई सारे लोग कांवड़ मनोकामना पूर्ण होने के बाद लाते हैं। आर्टिकल में बताते हैं आपको कितनी बार आपको कांवड़ लानी चाहिए।
Editorial
Updated:- 2025-07-07, 11:57 IST

सावन का महीना इस साल 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसके बाद हर दिन आपको हर हर महादेव ही सुनने को मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए होता है। साथ ही, इसी महीने में लाखों भक्त कांवड़ लाते हैं, जिसमें वे पवित्र गंगाजल लाते हैं, ताकि भगवान शिव का जलाभिषेक कर सके। कई सारे भक्त ऐसे होते हैं जो मनोकामना पूरी होने का बाद कांवड़ लाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ को मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार लानी चाहिए। आर्टिकल में आपको इसके बारे में बताते हैं।

कांवड़ क्यों लाई जाती है

हिंदू धर्म में भगवान के प्रति निष्ठा दिखाने का सबका अलग-अलग तरीका होता है। ऐसे में कांवड़ भी इसी का हिस्सा है। इसलिए लोग भगवान के प्रति अपने आभार, पापों के प्रायश्चित और जीवन में संतुलन बना रहे। इसको ध्यान में रखते हुए कांवड़ को लाते हैं। कांवड़ यात्रा के समय जिस तरह की कठिनाईयों का सामना करता है, वही भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति दिखाने का तरीका होता है। इसलिए कांवड़ के समय भक्तों को सारे कार्यों को श्रद्धा के साथ करना चाहिए, ताकि जीवन सरलता से बीते।

Kanwar yatra

मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार लाएं कांवड़

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा का संकल्प व्यक्ति की अपनी श्रद्धा और इच्छा पर निर्भर करता है।  लेकिन अगर आप मनोकामना पूरी होने के बाद कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, तो ऐसे में आपको 2, 5, 7, 11 या 21 बार कांवड़ लानी चाहिए। इससे आपका किया हुआ संकल्प पूरा होता है। साथ ही, आप भगवान को धन्यवाद कर पाते हैं। लेकिन कई सारे लोग ऐसे होते हैं भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। ऐसे में भी आप इसी संख्या में कांवड़ ला सकते हैं। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। साथ ही, आपकी कांवड़ यात्रा को आसान बनाते हैं। भक्तों का ये प्रेम दिखाने का तरीका सबसे अलग माना जाता है। इसमें भक्त पदयात्रा के जरिए शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए जल को दूर जगह से लेकर आते हैं। इसके बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

yatra

कांवड़ यात्रा के जरूर जानें नियम

  • कांवड़ यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि संयम, भक्ति और इच्छाशक्ति का प्रतीक है। कांवड़ियों को कुछ कड़े नियमों का पालन करना होता है। तभी उनकी यह यात्रा पूरी होती है।
  • इस यात्रा को शुरू करने के बाद उन्हें सात्विकता का पालन करना जरूरी होता है।
  • कोशिश करें कि आप यात्रा के समय नंगे पैर चलें।
  • कांवड़ को जमीन पर न रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें पवित्र जल होता है। जिसे शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
  • मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें। इससे आपकी यात्रा खंडित हो सकती है।
  • कांवड़ यात्रा में 'बोल बम', 'हर हर महादेव' का जयघोष जरूर करें।

इसे भी पढ़ें: सोम प्रदोष व्रत रखने से मिलेगी सफलता, जानिए कथा में कैसे भगवान शिव ने बदला ब्राह्मण पुत्र का भाग्य

कांवड़ यात्रा से संतान सुख की प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। इसलिए आपको सच्चे मन से कांवड़ यात्रा करनी चाहिए। साथ ही, यात्रा के समय कोई गलत काम नहीं करना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: सावन में रुद्राभिषेक के समय क्यों जरूरी होता है नंदी मुख जलाधारी? जानें ज्योतिष कारण

इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही,अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ

Image Credit- Freepik

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

;