Kedarnath Yatra 2024: पशुपतिनाथ के दर्शन के बिना क्यों अधूरी है केदारनाथ की यात्रा, जानें क्या है मान्यता

केदारनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक हिन्दू तीर्थस्थल है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है।

What is the Connection between kedarnath and pashupatinath

(Kedarnath Yatra 2024) भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ धाम भी शामिल है। यह भगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग है। केदार बाबा का दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त बाबा केदार का दर्शन करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। केदारनाथ धाम के कण-कण में भगवान शिव की मौजूदगी की खास अनुभूति होती है। ऐसा लगता है मानो साक्षात भोले बाबा ने अपने गोद में बिठा रखा हो। यहां भगवान शिव शिवलिंग रूप विराजमान हैं। हर साल भारी संख्या में जोखिम उठाकर केदारनाथ धाम पहुंच पाते हैं। ऐसा जाता है कि केदारनाथ धाम में भगवान और भक्तों का साक्षात मिलन होता है और बैकुंठ धाम की अनुभूति होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार केदारनाथ धाम में भगवान शिव ने पांडवों को अपने दर्शन दिए थे और उन्हें गुरु हत्या के पाप से भी मुक्ति दिलाई थी। यहां सभी भक्तों की इच्छा पूर्ण होता है। केदारनाथ धाम व्यक्ति को वास्तविक जीवन से परिचय कराता है। यहां दर्शन करने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज की इच्छा नहीं होती है।

इस साल केदारनाथ के कपाट 10 मई से खुल रहे हैं और भक्तों ने रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है। अगर आप केदारनाथ बाबा के दर्शन करने जा रहे हैं, तो पशुपतिनाथ बाबा के दर्शन जरूर करें। अब ऐसे में बिना पशुपतिनाथ के दर्शन के केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। इनकी मान्यता क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

केदारनाथ धाम की मान्यता क्या है?

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महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अपने भाई कर्ण की मृत्यु के पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की थी। भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पापों से मुक्ति प्रदान की। इसी घटना के बाद, पांडवों ने केदारनाथ में भगवान शिव का मंदिर बनवाया था।

ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ, कैलाश पर्वत का ही हिस्सा है, जो भगवान शिव का निवास स्थान है। केदारनाथ में भगवान शिव के दर्शन करने का अर्थ है कैलाश पर्वत और भगवान शिव के निवास स्थान के दर्शन करना। केदारनाथ में भगवान शिव को जटाधारी शिव के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां समाधि लगाकर तपस्या की थी, जिसके कारण उनके सिर पर जटाएं उग आई थीं। केदारनाथ में भगवान शिव के दर्शन करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।

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पशुपतिनाथ के दर्शन के बिना क्यों अधूरी है केदारनाथ की यात्रा?

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ऐसी मान्यता है कि केदारनाथ में भगवान शिव का शरीर, जबकि पशुपतिनाथ में उनका 'मुख' दर्शन होता है। इसलिए, दोनों धामों के दर्शन से भगवान शिव के पूर्ण स्वरूप का अनुभव प्राप्त होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को गुरु द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अश्वत्थामा की हत्या का पाप लगा था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने उन्हें केदारनाथ में दर्शन दिए थे।

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वहीं अन्य कथा के हिसाब से भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने ससुर दक्ष का वध कर दिया था। इसके बाद, वे पापों से मुक्ति पाने के लिए भटकते रहे और आखिर पशुपतिनाथ में प्रकट हुए। इसलिए बिना पशुपतिनाथ के दर्शन के बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

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Image Credit - herzindagi And Official website

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