Narayan Kavach Path Niyam: नारायण कवच का पाठ करने के क्या हैं नियम, यहां जान लें विस्तार से

हिंदू धर्म में क सभी स्तोत्र और मंत्र का पाठ करने के नियम बताए गए हैं। अब ऐसे में जो जातक नारायण कवच का पाठ कर रहे हैं, उन्हें पाठ करने के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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हिंदू धर्म में नारायण कवच भगवान विष्णु को समर्पित एक शक्तिशाली और सुरक्षा प्रदान करने वाला स्तोत्र माना जाता है। इसका उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण में मिलता है। कवच का अर्थ है 'कवच' या 'सुरक्षा'। इसलिए, नारायण कवच का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों, भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त करना है। ऐसा माना जाता है कि नारायण कवच का पाठ करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की दिव्य सुरक्षा प्राप्त होती है। यह ज्ञात और अज्ञात शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है। ऐसा माना जाता है कि इस कवच के पाठ से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। अब ऐसे में नारायण कवच का पाठ करने के नियम क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

नारायण कवच का पाठ करने के नियम यहां जानें...

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अगर आप नारायण कवच का पाठ कर रहे हैं, तो विस्तार से सभी नियमों के बारे में जान लें।

नारायण कवच का पाठ करने से पहले करें ये काम

  • पाठ शुरू करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • आप पूजा कक्ष या किसी अन्य शांत जगह पर बैठ सकते हैं।
  • उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  • आप आसन पर बैठकर इस कवच का पाठ करें।
  • हाथ में कुश लें और उसकी अंगुठी बनाकर पहन लें।
  • पाठ शुरू करने से पहले तीन बार आचमन करें।
  • जब आप नारायण कवच का पाठ करने जा रहे हैं तो इस दौरान किसी भी व्यक्ति से बात न करें।

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नारायण कवच का पाठ करने की विधि

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  • पाठ से पहले हृदयादि अंगन्यास और अंगुष्ठादि करन्यास करना चाहिए। आप इसके बारे में अपने पंडित दी से पूछ सकते हैं। इसके लिए "ऊं नमो नारायणाय" और "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्रों का जाप करते हैं।
  • उसके बाद नारायण कवच के मूल श्लोकों का पाठ करें। यह संस्कृत में होता है, लेकिन यदि आपको संस्कृत का नहीं आती है तो आप हिंदी अनुवाद का पाठ कर सकते हैं।
  • आप मंत्रों और श्लोकों का स्पष्ट और सही उच्चारण करें।
  • पाठ करते समय भगवान नारायण के स्वरूप का ध्यान करें।
  • यदि संभव हो तो, इस पाठ को नियमित रूप से करें। सुबह और संध्या का समय इसके लिए उत्तम माना जाता है।
  • पाठ समाप्त होने के बाद भगवान नारायण को प्रणाम जरूर करें।

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Image Credit- HerZindagi

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