Urvashi Mandir Significance: उत्तराखंड की देवभूमि पर बना है उर्वशी मंदिर, जानें आखिर क्यों है यह बेहद खास और कौन सी देवी की होती है पूजा?

Urvashi Mandir Significance and History: मां उर्वशी मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के बामणी गांव में स्थित है। यह गांव बद्रीनाथ धाम से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। बद्रीनाथ आने वाले कई तीर्थयात्री इस मंदिर के दर्शन भी करते हैं।
Urvashi Mandir Significance and History

Urvashi Mandir Significance and History: मां उर्वशी मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के बामणी गांव में स्थित है, जो कि बद्रीनाथ धाम से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ आने वाले लगभग सभी तीर्थयात्री इस मंदिर के दर्शन भी करते हैं। मां उर्वशी मंदिर में स्थानीय भक्तों का नियमित रूप से आना-जाना लगा रहता है। मंदिर में विशेष रूप से नवरात्रों के दौरान कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। आपको बता दें कि मां उर्वशी मंदिर को भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है और उन्हें स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सराओं में से एक माना जाता है। इन सब के बीच लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर यह उर्वशी माता के मंदिर में कौन से भगवान की पूजा की जाती है और इस मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है। तो चलिए हम आपको पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर से जुड़ी दो मुख्य कथाओं के बारे में बताते हैं।

उर्वशी मंदिर आखिर क्यों है इतनी खास? (Urvashi Temple Significance In Hindi)

Urvashi Temple in Badrinath

एक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती को मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी लोक का भ्रमण कर रहे थे, तब विष्णु भगवान नें शिव जी के क्रोध को शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाए थे, जिससे सती के शरीर के कई टुकड़े हुए थे। इनमें से एक टुकड़ा बामणी गांव में गिरा और वहीं पर उर्वशी मंदिर का निर्माण हुआ। इस मंदिर में माता सती के शरीर के अंग की पूजा की जाती है।

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कौन सी देवी की होती है पूजा? (Which Goddess is Worshipped In Urvashi Temple)

Urvashi Temple history and significance

अन्य मान्यता के अनुसार, जब भगवान विष्णु बद्रीनाथ में तपस्या कर रहे थे। उसी क्षण भगवान की गहन साधना के फलस्वरूप उनकी जांघ से एक अत्यंत सुंदर अप्सरा का जन्म हुआ, जिनका नाम उर्वशी था। उर्वशी को स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सराओं में से एक माना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक, उर्वशी ने बामणी गांव के पास के क्षेत्र में कुछ समय बिताया था, इसलिए वहां उनकी पूजा मां उर्वशी देवी के रूप में की जाती है।

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