शाम के समय आरती की लौ चारों दिशाओं में क्यों दिखानी चाहिए?

हिंदू धर्म में आरती करने के कई नियम बताए गए हैं। अगर इनका पालन सहीं से किया जाए, तो व्यक्ति को शुभ परिणाम मिल सकते हैं। 

 
Significance of evening aarti in four Direction ()

(significance of evening aarti in four direction) सनातन धर्म में पूजा के दौरान आरती करने के कई नियम बताए गए हैं। अगर इनका पालन सही से किया जाए, तो व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन हो सकता है। बता दें, बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती है। कुछ लोग आरती करने के बाद पौधे के पास दीपक रखते हैं। जो वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ माना जाता है। अब ऐसे में मंदिर में शाम की आरती के बाद आरती की लौ को चारों दिशाओं में दिखाई जाती है। इसका क्या महत्व है। इसके बारे में जानना जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

उत्तर दिशा में आरती की लौ दिखाना (Aarti in North Direction)

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उत्तर दिशा में भगवान शिव और कुबेर देवता का वास होता है। शास्त्रों में भगवान कुबेर को धन-संपत्ति का देवता माना गया है। साथ ही महादेव को दिशा अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिशा में संध्या के समय आरती की लौ दिखाई जाती है। इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलते हैं और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।

पश्चिम दिशा में आरती की लौ दिखाना (Aarti in West Direction)

पश्चिम दिशा शनिदेव की मानी जाती है। इसलिए इस दिशा में संध्या के समय आरती की लौ दिखाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में आरती की दिखाने से व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है और शनि दोष से भी छुटकारा मिल सकता है।

पूर्व दिशा में आरती की लौ दिखाना (Aarti in East Direction)

पूर्व दिशा भगवान विष्णु की दिशा मानी जाती है। इसलिए इस दिशा में आरती की लौ दिखानी चाहिए। इससे विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के ऊपर श्रीहरि की कृपा बनी रहती है। इस दिशा में आरती की लौ दिखाने से सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है।

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दक्षिण दिशा में आरती की लौ दिखाना (Aarti in South Direction)

दक्षिण दिशा यम और पितरों का दिशा माना जाता है। इसलिए इस दिशा में संध्या की आरती दिखाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को अकाल मृत्यु से भी छुटकारा मिल सकता है । इसलिए इस दिशा में संध्या आरती दिखाएं।

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आरती करने के नियम क्या हैं? (Aarti Niyam)

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अगर आप आरती कर रहे हैं, तो एक ही स्थान पर खड़े होकर करनी चाहिए। आरती करने के दौरान थोड़ा झूकना चाहिए। आरती करते समय भगवान की चरणों की ओर चार बार, नाभि की और दो बार, मुख की ओर एक बार और शरीर की सभी अंगों की ओर सात बार करनी चाहिए। इसलिए इस बात का ध्यान अवश्य रखें।

अगर आप पूजा के दौरान आरती कर रहे हैं, तो कुछ नियमों का पालन अवश्य करें और अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

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