Shani Trayodashi Kab Hai 2024: कब है शनि त्रयोदशी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

शनिदेव को कर्मफलदाता कहा जाता है। यह व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। इनकी पूजा करने से शनि दोष से छुटकारा मिल सकता है। 

 
Shani Trayodashi  date shubh muhurat and significance

(Shani trayodashi 2024 date shubh muhurat and significance) हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शनिवार के दिन शनि त्रयोदशी है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनिद दोष है और साढ़ेसाती के साथ-साथ ढैय्या का प्रभाव चल रहा है, तो शनि त्रयोदशी के दिन व्रत रखें और शनिदेव की पूजा विधिवत रूप से करें। अब ऐसे में इस साल शनि त्रयोदशी कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और शनिदेव की पूजा का क्या महत्व है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कब है शनि त्रयोदशी ?

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पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत दिनांक 06 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगा और इसका समापन दिनांक 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा। अगर आप शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में यानी कि शाम के समय शनिदेव की पूजा करने के साथ-साथ शिवलिंग की पूजा अवश्य करें। इस दिन भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है।

क्या है शनि त्रयोदशी तिथि का महत्व ?

हिंदू धर्म में शनि प्रदोष को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। बता दें, शनिदेन भगवान शिव के परम भक्त थे और त्रयोदशी तिथि बेहद पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति शनि दोष से पीड़ित है, उन्हें जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करें। इस दिन व्रत रखना भी बेहद शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है और सभी दोषों से छुटकारा मिल सकता है।

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शनि त्रयोदशी तिथि के दिन करें मंत्र जाप

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शनि प्रदोष के दिन इन मंत्रों का जाप करें। इससे व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

  • ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।। ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः
  • ॐ शं शनैश्चराय नमः। ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  • ॐ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा'
  • ऊँ शं शनैश्चराय नमः। ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

शनि प्रदोष कब है और किन मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानें और इसके अलावा अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- Freepik

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