हिंदू धर्म में हर माह को बेहद पावन और महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं अब जल्द ही सावन का महीना आरंभ होने वाला है। इस माह में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में चल रही सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सावन माह में विधिवत रूप से पूजा करने से लाभ हो सकता है। भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। क्योंकि यह सबसे शीघ्र प्रसनन्न होने वाले देवता माने जाते हैं। अब ऐसे में अगर आप सिद्धि प्राप्ति के सावन माह में संकल्प ले रहे हैं, तो इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि शिव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए।
सावन में शिव चालीसा का पाठ कब करें?
सावन माह में अगर आप शिव चालीस का पाठ करना चाहते हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करने के दौरान शिव चालीसा का पाठ करने से लाभ हो सकता है। शिव चालीस का पाठ संध्या काल में यानी कि 06 बजे से लेकर 08 बजे के समय कर सकते हैं। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिलते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है।
शिव चालीसा का पाठ
जय गिरिजा पति दीन दयाला,सोमनाथ शंकर भवानी वाला।
जय शिव शंभू त्रिनेत्र धारी,पशुपति पशुपालनकारी।
जय कैलाशपति गिरिराज मौली,नीलगंगाधर जटा जटाधारी।
जय रुद्र रौद्र रूप भयानक,कालकाटकी त्रिपुर सुंदरी भवानी।
जय त्रिदेवदेव महादेव भोले,शंकर शिव शंभू शंकरोत्तम।
गंगाधर गंगाजलधारी,भस्मसुर भस्मसन भवानी।
जटा मकुट धारी जटाधारी,त्रिशूलधारी त्रिनेत्रधारी।
रूप नारायण रूप अनंत,रूप शिव रूप ब्रह्मांडनाथ।
कंठ त्रिमुखी रुद्र महादेव,महाकाल कालकूटनाथ।
शिव शंभू शंकर करुणानिधान,वन्दे वन्दे शत बार शिवनाथ।
प्रणाम करूं मैं शिव चरणों में,नित्य नयम नियम से आरती गाऊं।
देवों के देव महादेव भोले,भक्तों के प्रिय शंकर शिवोत्तम।
शिव चालीसा जो कोई पढ़े,सब पापों से मुक्ति प्राप्त करे।
शिव की कृपा से सुख संपदा,मिले धन धान्य भंडार भरे।
रोग नाश हो शत्रु नाश हो,सब कार्य सिद्ध हों शीघ्र ही।
शिव चालीसा की महिमा अपार,जो कोई पढ़े फल पाए अमिट।
जय शिव शंभू शंकर भवानी,जय गिरिजा पति दीन दयाला।
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शिव चालीसा का पाठ करने के दौरान किन नियमों का पालन करें?
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल और आसपास का स्थान स्वच्छ रखें।
शांत और एकाग्रचित्त रहें।
लालच, क्रोध, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से शिव जी का ध्यान करें।
घर के मंदिर, शिव मंदिर, या किसी शांत और पवित्र स्थान पर पाठ करें।
शिव जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
शिव जी को जल, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
शिव चालीसा का पाठ धीमी गति से और स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।
प्रत्येक चौपाई के बाद थोड़ा रुककर शिव जी का ध्यान करें।
पाठ समाप्त करने के बाद आरती गाएं और भगवान शिव से प्रार्थना करें।
मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करें।
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Image Credit- HerZindagi
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