इस एक पाठ के जाप से चमक सकती है आपकी किस्मत, जानें विधि

जगत के नाथ की रथ यात्रा अभी बेहद जोरो-शोरों से चल रही है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जगन्नाथ अष्टकम का पाठ और उसकी विधि के साथ-साथ महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण के ही एक रूप हैं, जिन्हें ओडिशा के पुरी में स्थित उनके प्रसिद्ध मंदिर के लिए विशेष रूप से पूजा जाता है। भगवान जगन्नाथ की महिमा का गुणगान करने वाले कई स्तोत्र और भजन हैं, जिनमें जगन्नाथ अष्टकम का पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अष्टकम आठ श्लोकों का एक सुंदर संग्रह है जो भगवान जगन्नाथ के दिव्य स्वरूप, उनकी लीलाओं और उनके भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन करता है। आपको बता दें, जगन्नाथ अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। अब ऐसे में जगन्नाथ अष्टकम का पाठ किस विधि से करें? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

रोजाना करें जगन्नाथ अष्टकम का पाठ

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कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो
मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः
रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥१॥
भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
दुकूलं नेत्रान्ते सहचर-कटाक्षं विदधते ।
सदा श्रीमद्‍-वृन्दावन-वसति-लीला-परिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥२॥
महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरे
वसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना ।
सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥३॥
कृपा पारावारः सजल जलद श्रेणिरुचिरो
रमा वाणी रामः स्फुरद् अमल पङ्केरुहमुखः ।
सुरेन्द्रैर् आराध्यः श्रुतिगण शिखा गीत चरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥४॥
रथारूढो गच्छन् पथि मिलित भूदेव पटलैः
स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः ।
दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥५॥
परंब्रह्मापीड़ः कुवलय-दलोत्‍फुल्ल-नयनो
निवासी नीलाद्रौ निहित-चरणोऽनन्त-शिरसि ।
रसानन्दी राधा-सरस-वपुरालिङ्गन-सुखो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथगामी भवतु मे ॥६॥
न वै याचे राज्यं न च कनक माणिक्य विभवं
न याचेऽहं रम्यां सकल जन काम्यां वरवधूम् ।
सदा काले काले प्रमथ पतिना गीतचरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥७॥
हर त्वं संसारं द्रुततरम् असारं सुरपते
हर त्वं पापानां विततिम् अपरां यादवपते ।
अहो दीनेऽनाथे निहित चरणो निश्चितमिदं
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥८॥
जगन्नाथाष्टकं पुन्यं यः पठेत् प्रयतः शुचिः ।
सर्वपाप विशुद्धात्मा विष्णुलोकं स गच्छति ॥९॥
॥ इति श्रीमत् शंकराचार्यविरचितं जगन्नाथाष्टकं संपूर्णम् ॥

जगन्नाथ अष्टकम का पाठ करने की विधि

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सबसे पहले, स्नान करके स्वयं को शारीरिक रूप से शुद्ध करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
एक शांत और पवित्र स्थान चुनें जहां आप बिना किसी व्यवधान के पाठ कर सकें। आपका पूजा घर या कोई साफ-सुथरा कोना उत्तम रहेगा।
यदि संभव हो, तो अपने सामने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की कोई तस्वीर या मूर्ति रखें. यदि उपलब्ध न हो, तो मन में उनकी दिव्य छवि का ध्यान करें।
आप चाहें तो एक दीपक जला सकते हैं, अगरबत्ती लगा सकते हैं और कुछ पुष्प अर्पित कर सकते है।
पाठ शुरू करने से पहले, मन में एक छोटा सा संकल्प लें।
आप चाहें तो भगवान गणेश का संक्षिप्त ध्यान या कोई गणेश मंत्र बोल सकते हैं, क्योंकि वे किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में पूजे जाते हैं।
उसके बाद आप जगन्नाथ अष्टकम का पाठ विशेष रूप से करें।

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Image Credit- HerZindagi

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