सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ साक्षात भगवान विष्णु के स्वरूप हैं। ऐसा कहा जाता है कि उड़िसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का दिल आज भी धड़कता है। यहां साक्षात भगवान का वास है। जब भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है तो इससे 15 दिन पहले प्रभु का 108 घड़ों का शाही स्नान कराया जाता है और उसके बाद वह बीमार हो जाते हैं। इसलिए उनका 15 दिन तक उपचार किया जाता है और वह जब ठीक हो जाते हैं तो उसके बाद प्रभु का श्रृंगार किया जाता है और फिर भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की रथ यात्रा निकाली जाती है। जिसमें तीनों भाई-बहन अपनी मौसी के घर यानी कि गुंडिचा मंदिर में जाते हैं।
आपको बता दें, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 27 जून से निकल रही है। अगर अंक शास्त्र के अनुसार, देखा जाए तो 2+7= 9 अंक बन रहा है और 9 अंक मंगल का अंक माना जाता है। साथ ही यह साल भी मंगल का है और जगन्नाथ जी रथ यात्रा शुक्रवार के दिन से आरंभ हो रही है, इसलिए इस दौरान मंगल और शुक्र के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से मंगल के इस साल में भगवान जगन्नाथ की रथ के बारे में जानते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू हो रही है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
इस वर्ष भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का आरंभ एक अत्यंत शुभ संयोग में हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र को 'पुनः प्राप्त करना' या 'वापस लाना' से जोड़ा जाता है। यह नक्षत्र बृहस्पति द्वारा शासित होता है और अक्सर समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा होता है। इस नक्षत्र में शुरू होने वाली किसी भी शुभ कार्य में सफलता और शुभता की प्रबल संभावना मानी जाती है।
भगवान जगन्नाथ की यात्रा का इस नक्षत्र में प्रारंभ होना भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जा रहा है, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सभी कार्यों में सफलता प्राप्ति के लिए बेहद सौभाग्यशाली माना जाता है। वहीं जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन पुनर्वसु नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे भाग्यशाली योग बन रहे हैं। ऐसे में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का इस योग में शुरू होना भक्तों के लिए असीम पुण्य और लाभ का कारण बनेगा।
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जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन मंगल और शुक्र का शुभ प्रभाव
जब मंगल और शुक्र दोनों ग्रह एक साथ शुभ स्थिति में होते हैं, तो यह एक अद्वितीय और शक्तिशाली संयोजन बनाता है. जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन इन दोनों ग्रहों का शुभ प्रभाव भक्तों के लिए सौभाग्य का कारक माना जाता है। आपको बता दें, मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक माना जाता है। यह व्यक्ति में उत्साह और दृढ़ता लाता है, जिससे वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होते हैं। वहीं, शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, समृद्धि और भौतिक सुखों का प्रतीक है। यह जीवन में सुख-शांति और ऐश्वर्य प्रदान करता है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन इन दोनों ग्रहों का शुभ प्रभाव एक साथ मिलना, भक्तों के लिए उन्नति के साथ-साथ समृद्धि के भी द्वार खोल सकता है।
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