हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से रथ यात्रा आरंभ हो जाता है। वहीं 07 जुलाई से उडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आरंभ होने जा रहा है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ में विराजते हैं। ऐसी मान्यता है कि रथ यात्रा का साक्षात दर्शन करने भर से भक्तों को 1000 गुना यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। बता दें, रथ यात्रा में, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियों को तीन विशाल रथों पर रखा जाता है और शहर की सड़कों पर घुमाया जाता है। लाखों भक्त इन रथों को खींचते हैं और भगवानों के जयकारे लगाते हैं। रथ यात्रा का उल्लेख हिंदू ग्रंथों जैसे महाभारत और स्कंद पुराण में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार 3000 साल से भी अधिक पुराना है। अब ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से रथ यात्रा के महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।
रथ यात्रा दर्शन का ज्योतिष महत्व
धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, रथ यात्रा का महत्व यज्ञ के समान माना जाता है। रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। रथ यात्रा के दौरान ग्रहों की स्थिति विशेष मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा पृथ्वी पर भक्तों के दर्शन देने आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। रथ यात्रा में शामिल होने और भगवान के दर्शन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रथ यात्रा के दौरान नवग्रहों की पूजा की जाती है। रथ यात्रा में शामिल होने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है। रथ यात्रा ग्रहों की चाल से जुड़ी होती है। माना जाता है कि रथ यात्रा के दौरान ग्रहों की चाल अनुकूल होती है, जिसका सकारात्मक प्रभाव लोगों के जीवन पर पड़ता है।
रथ यात्रा के दौरान नक्षत्रों का भी प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। रथ यात्रा का मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निकाला जाता है। रथ यात्रा के दौरान कई शुभ योग बनते हैं, जो लोगों के लिए शुभ फलदायी होते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल होता है, उसे 1000 यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है। साथ ही व्यक्ति की परेशानियां भी दूर हो जाती है। इसलिए रथ यात्रा के दर्शन अवश्य करें।
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भाई बलभद्र के रथ का महत्व
भगवान बलभद्र शक्ति और पराक्रम के देवता माने जाते हैं। उनका रथ शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है। भगवान बलभद्र को कृषि का देवता भी माना जाता है। उनका रथ कृषि और किसानों का प्रतीक है। भगवान बलभद्र धैर्य और विनम्रता के लिए जाने जाते हैं। उनका रथ इन गुणों का प्रतीक है। भगवान बलभद्र भाईचारे के प्रतीक हैं। उनका रथ भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
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बहन सुभद्रा के रथ का महत्व
देवी सुभद्रा शक्ति और शांति की देवी हैं। उनका रथ शक्ति और शांति के संतुलन का प्रतीक है। देवी सुभद्रा मातृत्व और स्नेह का प्रतीक हैं। उनका रथ मां और बच्चों के बीच प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। देवी सुभद्रा रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ और बलराम के साथ यात्रा करती हैं, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
भगवान जगन्नाथ के रथ का महत्व
भगवान जगन्नाथ का रथ भगवान विष्णु का प्रतीक है। रथ यात्रा भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा का प्रतीक है। रथ यात्रा मोक्ष का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त रथ यात्रा में भाग लेते हैं या रथ को खींचते हैं, उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
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Image Credit- HerZindagi
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