Pitru Paksha Hawan Vidhi 2024: पितरों की तृप्ति के लिए हवन किस विधि से करें?

हिंदू धर्म में पितृपक्ष को सौभाग्यशाली माना गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो पितृपक्ष का महीना बेहद शुभ माा जाता है। इस माह में पितरों की तृप्ति के लिए हवन कैसे करें। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 
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पितृपक्ष हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो आमतौर पर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस पखवाड़े में हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों यानी पितरों का श्राद्ध करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितर लोक से पृथ्वी पर आते हैं और उनके वंशज उनके लिए श्राद्ध करते हैं।

हिंदू धर्म में पितृ ऋण का बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि माता-पिता ने हमें जन्म दिया, पालन-पोषण किया और हमें जीवन के लिए आवश्यक सब कुछ दिया। इस ऋण को चुकाने के लिए श्राद्ध किया जाता है। पितृपक्ष में किए गए श्राद्ध से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्राद्ध करना एक धार्मिक कर्म है, जिससे व्यक्ति पवित्र होता है।

श्राद्ध में पितरों के नाम पर तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि किया जाता है। अब ऐसे में पितृपक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए हवन कैसे करें। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

पितरो की तृप्ति के लिए हवन किस विधि से करें? (Pitru Paksha Hawan Vidhi 2024)

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  • पितरों की तृप्ति के लिए हवन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इसे श्रद्धा और विधि-विधान से करना चाहिए।
  • हवन से पहले स्थान को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है।
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें।
  • यज्ञकुंड के आसपास की जगह को भी अच्छे से साफ करें।
  • मिट्टी या धातु का एक यज्ञकुंड बनाया जाता है।
  • यज्ञकुंड का आकार और गहराई अलग-अलग हो सकती है, लेकिन यह स्थिर और मजबूत होना चाहिए।
  • हवन की लकड़ी, आमतौर पर पीपल, पाकड़ या बरगद की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
  • शुद्ध देसी घी का उपयोग किया जाता है।
  • काले तिल का उपयोग किया जाता है।
  • साबुत जौ का उपयोग किया जाता है।
  • कुशा की घास का उपयोग किया जाता है।
  • हवन के दौरान पितरों को समर्पित विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  • इन मंत्रों को किसी पंडित से सीखना चाहिए या किसी मंत्र पुस्तक से पढ़ना चाहिए।
  • कुछ सामान्य मंत्र हैं जैसे "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय", "ॐ पितृ देवाय नमः" आदि।

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  • यज्ञकुंड में घी डालकर आग जलाई जाती है।
  • फिर समिधा, तिल, जौ और अन्य सामग्री को मंत्रों का उच्चारण करते हुए यज्ञकुंड में डाला जाता है।

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  • हवन के बाद पितरों को तर्पण दिया जाता है। इसमें तिल, जल और कुशा का उपयोग किया जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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