हिन्दू धर्म में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है फाल्गुन माह की पूर्णिमा जिसे फाग पूर्णिमा भी कहते हैं। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली खेली जाती है। इसलिए इस तिथि का महत्व और भी ज्यादा माना जाता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन जहां एक होली के पर्व पर श्री राधा कृष्ण की पूजा की जाती है तो वहीं दूसरी ओर इस दिन पूर्णिमा पड़ने के कारण मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है फाल्गुन पूर्णिमा, क्या है इस दिन पूजा एवं स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और महत्व।
फाल्गुन पूर्णिमा 2025 कब है?
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च, दिन गुरुवार को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से होगा। वहीं, इसका समापन 14 मार्च, दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 14 मार्च को रखा जाएगा।
यूं तो पूर्णिमा का व्रत उस दिन किया जाता है, जब पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा की उपस्थिति हो। इस बार फाल्गुन पूर्णिमा का चंद्रमा 13 मार्च को नजर आएगा क्योंकि 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर में समाप्त हो रही है और उस दिन चंद्रोदय चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में होगा।
मगर 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से रात 11 बजकर 26 मिनट तक भद्रा का साया है। ऐसे में 13 मार्च को तिथि में चंद्रमा के होने के बाद भी फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा और इसका व्रत 14 मार्च को करना ही उत्तम माना जाएगा और उसका फल भी प्राप्त होगा।
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फाल्गुन पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा यानी कि 14 मार्च के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 55 मिनट से सुबह 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। ये समय पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों में दान के लिए श्रेष्ठ है। ब्रह्म मुहूर्त में पूर्णिमा का दान और स्नान करने से 100 गुना अधिक फल मिलता है।
वहीं, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन यानी कि 14 मार्च को अभिजीत मुहूर्त का आरंभ दोपहर में 12 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है। इसक समापन दोपहर में 12 बजकर 54 मिनट में होगा। ऐसे में मां लक्ष्मी की पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त अच्छा है। इस मुहूर्त में पूजा से अक्षय फल मिलेगा।
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फाल्गुन पूर्णिमा 2025 महत्व
फाल्गुन पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन स्नान और दान करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन का विशेष महत्व पितरों के लिए भी है। फाल्गुन पूर्णिमा पर पितरों के तर्पण, दान और श्राद्ध करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आध्यात्मिक लाभ के साथ भौतिक सुख भी प्राप्त हो जाते हैं।
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