Nirjala Ekadashi Vrat Katha: निर्जला एकादशी का रखती हैं व्रत तो जरूर पढ़ें ये कथा, मिल सकते हैं शुभ फल

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। अब ऐसे में अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो कथा जरूर सुनें। आइए इस लेख में व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल भर की सभी चौबीस एकादशियों के व्रतों का फल प्राप्त होता है। यह व्रत पापों और सभी प्रकार के कष्टों का नाश करने वाला माना गया है। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक संपन्न करता है, उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। अब ऐसे में जो जातक निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो व्रत कथा पढ़ने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से निर्जला एकादशी के दिन व्रत कथा के बारे में जानते हैं।

निर्जला एकादशी के दिन पढ़ें व्रत कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार, जब महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाली एकादशी का व्रत करने को कहा, तो महाबली भीम ने निवेदन किया, "हे महर्षि! मैं तो भूख बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं एक समय भोजन करके भी नहीं रह सकता, तो फिर एकादशी का व्रत कैसे कर पाऊंगा? मुझसे कोई ऐसा व्रत बताइए जो मैं आसानी से कर सकूँ और उसका फल भी मुझे मिल जाए।

वेदव्यास जी ने भीम की बात सुनकर कहा, "हे भीम! यदि तुम वर्ष की चौबीस एकादशियों का व्रत नहीं कर सकते हो, तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करो. यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आता है. इस दिन निर्जल रहकर व्रत करने से तुम्हें चौबीसों एकादशियों का फल प्राप्त होगा. इस व्रत को करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मृत्यु के बाद विष्णु लोक को प्राप्त करता है।"

वेदव्यास जी ने आगे कहा, "इस व्रत में अन्न और जल दोनों का त्याग करना होता है. दशमी के दिन से ही संयम का पालन करना चाहिए और एकादशी के दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करनी चाहिए. द्वादशी को विधिपूर्वक स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और ब्राह्मणों को दान देकर व्रत का पारण करना चाहिए।"

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महर्षि वेदव्यास के वचनों को सुनकर भीम ने संकल्प लिया और उन्होंने निर्जला एकादशी का व्रत किया। इस कठिन व्रत को करने से भीमसेन को सभी एकादशियों का फल प्राप्त हुआ और वे पाप मुक्त हो गए। तभी से निर्जला एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया और इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाने लगा।

मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से निर्जला एकादशी का व्रत करता है, उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह भगवान विष्णु की कृपा का पात्र बनता है।

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Image Credit- HerZindagi

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