आखिर क्यों हाथों में मेहंदी लगाए बिना करवा चौथ का त्योहार है अधूरा? जानें ज्योतिष में इसका महत्व

करवा चौथ के कई रीति-रिवाजों में से एक है हाथों में मेहंदी लगाना। वैसे तो इसे सोलह श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, लेकिन इसका सांस्कृतिक, ज्योतिष और आध्यात्मिक महत्व भी है।
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करवा चौथ हिंदू संस्कृति के सबसे प्रमुख पर्वों में से एक है। यह त्योहार मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियों के लिए खास होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात में चांद के दर्शन और पूजन के बाद अन्न और जल ग्रहण करती हैं।

यह पर्व भारतीय परंपरा में, विशेषकर देश के उत्तरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा महत्व रखता है। इस दिन सुहागिन सोलह श्रृंगार करके नए वस्त्रों से खुद को सुसज्जित करती हैं और पूजन की तैयारी श्रद्धा भाव से करती हैं। करवा चौथ के सोलह श्रृंगारों में से एक है हाथों में मेहंदी लगाना।

ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के विभिन्न अनुष्ठानों में मेहंदी लगाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मेहंदी न केवल सुंदरता का प्रतीक है बल्कि इसके करवा चौथ के संदर्भ में गहरे ज्योतिषीय, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अर्थ भी हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें करवा चौथ में मेहंदी लगाने के ज्योतिष महत्व के बारे में।

करवा चौथ में मेहंदी का सांस्कृतिक महत्व

significance of applying mehndi in karwa chauth

मेहंदी सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। किसी भी शादी, त्योहार, धार्मिक समारोहों जैसे विशेष अवसरों के दौरान हाथों और पैरों पर मेहंदी का प्रयोग एक प्राचीन परंपरा है।

करवा चौथ के लिए, मेहंदी इस पर्व के अनुष्ठानों की तैयारी में एक आवश्यक भूमिका निभाती है, जो एक पत्नी का अपने पति के प्रति प्यार और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है।

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प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है मेहंदी

करवा चौथ के पर्व में हाथों में मेहंदी प्यार, स्नेह और वैवाहिक आनंद का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसा माना जाता है कि मेहंदी का रंग जितना गहरा होगा, शादीशुदा जोड़े के बीच प्यार उतना ही मजबूत होगा। यह विश्वास करवा चौथ के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। महिलाएं अक्सर यही सोचकर मेहंदी हाथों में लगाती हैं उसका ज्यादा से ज्यादा गहरा हो। जिससे उनके पति के साथ उनके गहरे प्यार और संबंध को दर्शाता है।

इसके अलावा, मेहंदी को शुभ माना जाता है और यह विवाहित महिलाओं के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाती है। मेहंदी लगाकर महिलाएं सुखी और सफल वैवाहिक जीवन के लिए भगवान का आशीर्वाद मांगती हैं।

मेहंदी सुंदरता का प्रतीक मानी जाती है

applying mehndi in karwa chauth

मेहंदी को प्राचीनकाल से ही सुंदरता और स्त्रीत्व का प्रतीक माना जाता है। यह महिलाओं के सौंदर्य और श्रृंगार में एक विशेष स्थान रखती है। खासतौर पर करवा चौथ जैसे अवसरों पर इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। ज्योतिष की मानें तो करवा चौथ के सोलह श्रृंगार में मेहंदी का होना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि इसकी सुंदर डिजाइन न केवल हाथों की शोभा बढ़ाती है, बल्कि इसे शरीर की सुंदरता का भी प्रतीक माना जाता है।

मेहंदी की चमक और आकर्षण महिलाओं के हाथों को सजाने के साथ-साथ उनके पूरे व्यक्तित्व में निखारती है। यह श्रृंगार केवल बाहरी सुंदरता का प्रतीक नहीं है, बल्कि आंतरिक खुशियों और आशाओं की भी अभिव्यक्ति होती है।

करवा चौथ के इस महत्वपूर्ण पर्व पर महिलाएं मेहंदी से अपने हाथों को सजाकर अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण को दर्शाती हैं। मेहंदी न केवल सौंदर्य की प्रतीक है, बल्कि इसे शुभता और सौभाग्य का भी प्रतीक भी माना जाता है।

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करवा चौथ पर मेहंदी लगाने का ज्योतिषीय महत्व

करवा चौथ में मेहंदी का बहुत ज्यादा ज्योतिषीय महत्व है, यह ग्रहों की स्थिति, अनुष्ठानों और शुभ प्रतीकों को गहरा अर्थ देती है। मेहंदी, एक प्राकृतिक और पवित्र तत्व होने के कारण, करवा चौथ के दौरान शक्तिशाली ज्योतिषीय महत्व रखती है।

शुक्र ग्रह से है मेहंदी का संबंध

ज्योतिष में शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य और वैवाहिक संबंधों को नियंत्रित करता है। यह जीवनसाथी के बीच सद्भाव, स्नेह और भावनात्मक बंधन के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है।

सुंदरता और प्रेम का प्रतीक होने के कारण मेहंदी का शुक्र से गहरा संबंध है। ऐसा कहा जाता है कि करवा चौथ के दौरान मेहंदी लगाने से किसी भी सुहागिन महिला के जीवन में शुक्र का प्रभाव मजबूत होता है, जिससे उसके विवाह में प्यार और सद्भाव बढ़ता है। शुक्र के प्रभाव को मजबूत करने से महिला के वैवाहिक जीवन में अधिक खुशी, विलासिता और स्थिरता आ सकती है।

मेहंदी का चंद्रमा और सूर्य से संबंध

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करवा चौथ चंद्रमा से जुड़ा हुआ पर्व है। इस दिन चांद देखने और उसे अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। ज्योतिष में, चंद्रमा भावनाओं, मानसिक कल्याण और मानव जीवन के सहज पहलुओं को नियंत्रित करता है। करवा चौथ व्रत के दौरान, चंद्रमा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह शांति और पोषण ऊर्जा का प्रतीक है।

मेहंदी अपने शीतलता वाले गुणों के साथ चंद्रमा से जुड़ाव रखती है। करवा चौथ पर मेहंदी लगाने से भावनात्मक ऊर्जा को संतुलित करने में मदद मिलती है।
जहां एक तरफ करवा चौथ पर जहां चंद्रमा की पूजा की जाती है वहीं सूर्य का भी सम्मान किया जाता है। मेहंदी, अपने जीवंत और समृद्ध रंग के साथ, सूर्य की ऊर्जा का प्रतीक है, जो सकारात्मकता और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। यह भी माना जाता है कि सूर्य रिश्तों की उम्र बढ़ाता है।

करवा चौथ का व्रत महिलाएं सिर्फ अपने पति की सलामती के लिए ही नहीं बल्कि उनकी लंबी उम्र के लिए भी रखती हैं। मेहंदी का लाल रंग सूर्य की ऊर्जा को दर्शाता है और मेहंदी लगाकर महिलाएं समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए सूर्य का आशीर्वाद लेती हैं

मेहंदी का आध्यात्मिक महत्व

मेहंदी अपने ज्योतिष महत्व के अलावा आध्यात्मिक महत्व भी रखती है। इसे एक विवाहित महिला के सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है, जो उसे उसकी पहचान का एक अनिवार्य हिस्सा बनाता है।

करवा चौथ पर हाथों में मेहंदी लगाना एक महिला की अपने पति के प्रति समर्पण की निशानी के रूप में देखा जाता है। मेहंदी लगाने का कार्य दैवीय शक्तियों में उसके विश्वास और अपने पति की भलाई की कामना करने के प्रति उसके समर्पण को दिखाता है।

अपने विशेष गुणों से भरपूर होने के कारण मेहंदी को करवा चौथ के पर्व का एक विशेष हिस्सा माना जाता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Images:Freepik.com , shutterstock.com

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