आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के इस पावन अवसर पर नवरात्रि के आठवें दिन मां भगवती बगलामुखी की पूजा की जाती है। ऐसे में चलिए आज मां बगलामुखी की उतपत्ति की कथा के बारे में जानते हैं। मां बगलामुखी की उत्पत्ति और उनकी कथा हिंदू धर्म के देवी महात्म्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह कथा मुख्य रूप से देवी पुराणों और तंत्र ग्रंथों में उल्लिखित है। इस लेख में मां बगलामुखी की उत्पत्ति और उनकी कथा का विस्तार से वर्णन किया है।
उत्पत्ति की कथा:
सतयुग में एक समय ऐसा आया जब त्रिलोक में भयंकर आंधी-तूफान और प्राकृतिक विपदाओं ने उत्पात मचाया हुआ था। इससे सभी देवगण, ऋषि-मुनि और मानव जाति त्रस्त हो गई थी। इस विपत्ति से बचने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता की गुहार लगाई।
भगवान विष्णु ने सभी को बताया कि इस विपत्ति को शांत करने के लिए उन्हें हरिद्रा सरोवर (पीले जल का सरोवर) के पास जाकर तपस्या करनी होगी। विष्णु जी ने स्वयं वहां जाकर देवी बगलामुखी की आराधना की।
भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी बगलामुखी प्रकट हुईं। देवी बगलामुखी का वर्णन सुनहरा (पीला) है, और वे पीले वस्त्र धारण करती हैं। उनके हाथों में गदा और पाश होते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके शत्रुओं का नाश करती हैं।
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कथा का विस्तार:
एक अन्य कथा के अनुसार, सत्ययुग में एक असुर जिसका नाम मदन था, उसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि वह अपराजेय रहेगा। इस वरदान के चलते मदन असुर ने त्रिलोक में आतंक मचा दिया। उसकी शक्ति से भयभीत होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे मदद की प्रार्थना की।
भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को बताया कि मदन असुर का अंत करने के लिए उन्हें देवी बगलामुखी की आराधना करनी होगी। इसके लिए भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के किनारे तपस्या शुरू की।
विष्णु जी की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी बगलामुखी प्रकट हुईं और उन्होंने मदन असुर का वध किया। उनके वध के बाद सभी देवताओं और ऋषि-मुनियों ने देवी बगलामुखी की स्तुति की और उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
मां बगलामुखी की आराधना:
मां बगलामुखी को न्याय, विजय और शत्रुओं के नाश की देवी माना जाता है। उनकी आराधना से व्यक्ति को अद्भुत शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। मां बगलामुखी की आराधना के लिए विशेष मंत्रों का जप और तंत्र साधना की जाती है। बगलामुखी मंत्र इस प्रकार है:
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मां बगलामुखी का मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।
यह मंत्र साधक को शत्रुओं से सुरक्षा, विवादों में विजय और मानसिक शांति प्रदान करता है। मां बगलामुखी की आराधना विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है और उनके उपासकों को पीले वस्त्र धारण करने का भी विधान है।
मां बगलामुखी की उत्पत्ति की कथा और उनकी महिमा हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है, और उनकी आराधना से भक्तजन अपने जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
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Image Credit: saitharunvs
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