पशुपतिनाथ और केदारनाथ के ज्योतिर्लिंग का क्या है आपस में संबंध?

पशुपतिनाथ और केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। इन दोनों ज्योतिर्लिंग का आपस में एक खास संबंध है, चलिए जानते हैं इसके बारे में। 

 
Pashupatinath pilgrimage

पशुपतिनाथ और केदारनाथ दोनों ही शिवजी के प्रमुख तीर्थस्थल और ज्योतिर्लिंगों में से हैं। ये दोनों स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और इनका विशेष धार्मिक महत्व है। इनके आपस में संबंध के बारे में विभिन्न पुराणों और पौराणिक कथाओं में विस्तृत वर्णन मिलता है। चलिए इस लेख में पशुपतिनाथ और केदारनाथ के ज्योतिर्लिंग के बीच क्या संबंध है इसके बारे में जानते हैं।

पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग:

पशुपतिनाथ का ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 'पशुपति' रूप का प्रतीक है। पशुपति का अर्थ है 'सभी प्राणियों के स्वामी'।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग:

केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 'केदार' रूप का प्रतीक है। केदार का अर्थ है 'पृथ्वी का स्वामी'।

आपसी संबंध

kedarnaath

पुराणों में वर्णन: शिव पुराण और स्कंद पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अलग-अलग रूपों में विभिन्न स्थलों पर प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए हैं। पशुपतिनाथ और केदारनाथ के बीच इस दृष्टि से संबंध है कि दोनों स्थानों पर भगवान शिव ने अपने भक्तों की भक्ति को स्वीकार किया है और उन्हें आशीर्वाद दिया है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

शिव के विविध रूप: शिवजी के विभिन्न रूपों में पूजन का महत्व है। जहां पशुपतिनाथ शिवजी के करुणामय रूप का प्रतीक है, वहीं केदारनाथ उनका कठोर तपस्वी रूप दर्शाता है।

पशुपतिनाथ की कथा:

प्राचीन काल में, भगवान शिव ने कैलाश पर्वत छोड़कर बैगमती नदी के किनारे आकर रहने का निश्चय किया। भगवान शिव यहाँ एक हिरण का रूप धारण किया और जंगल में विचरण करने लगे। देवताओं ने जब यह देखा कि शिव कैलाश छोड़ चुके हैं, तो उन्होंने उन्हें ढूंढने का प्रयास किया। अंत में देवता उन्हें हिरण के रूप में पाया और वापस कैलाश ले जाने का प्रयत्न किया। इस दौरान, भगवान शिवने पशुपति (पशुओं के स्वामी) के रूप में अपनी पहचान दी।

कहानी के अनुसार, भगवान शिव ने यह इच्छा जताई कि वे हर साल कुछ समय के लिए इस पवित्र स्थान पर निवास करेंगे। इसी कारण से यह स्थान "पशुपतिनाथ" के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जिसका अर्थ है "पशुओं के स्वामी"।

केदारनाथ की कथा:

Pashupatinath Kedarnath connection

प्राचीन काल में, महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की आराधना करना चाहते थे। लेकिन भगवान शिव उनसे नाराज थे और वे उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे। इसलिए, भगवान शिव ने एक बैल का रूप धारण किया और केदारनाथकी ओर चले गए।

पांडवों ने भगवान शिव का पीछा किया और उन्हें पहचानने की कोशिश की। भीम ने दो पहाड़ों के बीच अपने विशाल आकार से बैल को रोकने की कोशिश की। तब भगवान शिव ने खुद को जमीन में समा लिया, लेकिन भीम ने उनका पूंछ पकड़ लिया। इससे भगवान शिव का शरीर कई भागों में विभाजित हो गया। केदारनाथ में भगवान शिव का पीठ का हिस्सा प्रकट हुआ और अन्य अंगों के स्थान पर अलग-अलग पवित्र स्थल बने।

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Image Credit: kedarnath_jyotirling, pashupatinathmandsaur_

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