हिंदू धर्म में भगवान कालभैरव की पूजा का विशेष महत्व है। कालभैरव भगवान शिव के उग्र रूपों में से एक हैं और उन्हें काल और मृत्यु का स्वामी माना जाता है। उनकी पूजा मुख्य रूप से भय, नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए की जाती है। कालभैरव नकारात्मक शक्तियों, जादू-टोने और बुरी नजर से भक्तों की रक्षा करते हैं। कालभैरव बाबा की पूजा करने से भक्तों को रोगदोष से भी छुटकारा मिल सकता है। अब ऐसे में कालभैरव की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कालभैरव बाबा की पूजा के लिए सामग्री
- कालभैरव बाबा की मूर्ति या चित्र
- चौकी या आसन
- गंगाजल
- पंचामृत
- सरसों का तेल
- दीपक
- धूप/अगरबत्ती
- गुग्गल
- फूल
- माला
- रोली
- चंदन
- अक्षत
- काले तिल
- काली उड़द की दाल
- बेलपत्र
- धतूरा
- सुपारी
- लौंग
- इलायची
- नारियल
- कपूर
- कलावा
- काला वस्त्र
कालभैरव बाबा की पूजा किस विधि से करें?
- पूजा शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। काले रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- हाथ में गंगाजल लेकर व्रत या पूजा का संकल्प लें।
- भगवान कालभैरव की मूर्ति को गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें। आप पंचामृत में केसर, जावित्री और चावल भी मिला सकते हैं।
- मूर्ति को कुमकुम, रोली और चंदन से सजाएं और फूलों की माला पहनाएं। लाल या पीले फूल, बेलपत्र, धतूरा, काले तिल, सरसों का तेल आदि अर्पित करें।
- भगवान को जलेबी, इमरती, पान, नारियल, उड़द की दाल, काले तिल और सुपारी का भोग लगाएं।
- कालभैरव अष्टक और कालभैरव चालीसा का पाठ करें।
- पूजा के अंत में भगवान कालभैरव की आरती करें।
- भगवान कालभैरव की तीन बार प्रदक्षिणा लगाएं।
कालभैरव बाबा की पूजा करने के लिए इन नियमों का रखें ध्यान
- कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी या भोजन खिलाना बेहद शुभ माना जाता है, इससे भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं।
- कालाष्टमी के दिन पितरों को श्राद्ध करना बेहद शुभ माना जाता है।
- मान्यताओं के अनुसार, भगवान कालभैरव की पूजा रात्रि में करना अति शुभ माना जाता है।
- कालभैरव बाबा की पूजा करने के दौरान मंत्रों का दौरान मंत्रों का जाप जरूर करें।
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कालभैरव बाबा की पूजा का महत्व
कालभैरव को संकट मोचक और स्थानों के रक्षक देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का प्रभाव कम होता है। कालभैरव शत्रुओं से रक्षा करने वाले देवता माने जाते हैं, और उनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है। व्यापार और अन्य कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए भी उनकी पूजा की जाती है। वे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। आपको बता दें, मान्यताओं के अनुसार, भगवान कालभैरव को यह वरदान है कि भगवान शिव की पूजा से पहले उनकी पूजा होगी। विशेष रूप से उज्जैन जैसे स्थानों पर, महाकाल की पूजा का लाभ तभी मिलता है जब कालभैरव के दर्शन किए जाएं।
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नोट - यदि आप किसी विशेष कामना के लिए पूजा कर रहे हैं, तो किसी जानकार पंडित या गुरु से सलाह लेना उचित होगा।
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Image Credit- HerZindagi
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