ज्येष्ठ माह में शनिदेव की पूजा का विशेष विधान माना गया है। ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ का महीने शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत शुभ और लाभकारी है। इसी कारण से ज्योतिष शास्त्र में भी ज्येष्ठ माह में शनि देव से जुड़े उपायों के बारे में बताया गया है। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्सने हमें कुछ खास उपायों के बारे में बताया है जो इस माह में करने से न सिर्फ शनिदेव की कृपा मिल सकती है बल्कि अन्य कई लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं।
ज्येष्ठ माह में शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
शनिवार का व्रत और पूजा: ज्येष्ठ माह के प्रत्येक शनिवार को व्रत रखें। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा करें। पूजा में काले तिल, सरसों का तेल, काले वस्त्र और नीले फूल अर्पित करें। शनि चालीसा का पाठ करें और शनि देव के मंत्रों का जाप करें, जैसे 'ॐ शं शनैश्चराय नमः'।
दान-पुण्य: ज्येष्ठ माह में जरूरतमंदों को दान करना बहुत शुभ माना जाता है। आप काले तिल, उड़द की दाल, लोहे के बर्तन, जूते-चप्पल या काले वस्त्र दान कर सकते हैं। इस महीने में पानी का दान करना भी विशेष महत्व रखता है, इसलिए प्यासे लोगों को पानी या शरबत पिलाएं।
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पशु-पक्षियों की सेवा: शनि देव पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखने वालों पर प्रसन्न होते हैं। ज्येष्ठ माह में काले कुत्ते को तेल लगी रोटी खिलाएं या कौवे को दाना डालें। बेजुबान जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था करें।
हनुमान जी की पूजा: हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि देव के प्रकोप से बचा जा सकता है। ज्येष्ठ माह में प्रतिदिन या प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को बूंदी या लड्डू का भोग लगाएं।
पीपल के वृक्ष की पूजा: शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में शनि देव का वास होता है।
अपने कर्मों को शुद्ध रखें: शनि देव न्याय के देवता हैं और वे हमारे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इसलिए ज्येष्ठ माह में अपने आचरण को शुद्ध रखें। किसी को भी दुख न पहुंचाएं, झूठ न बोलें और ईमानदारी से अपने काम करें।
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तेल मालिश और स्नान: ज्येष्ठ माह में सूर्योदय से पहले पूरे शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करके स्नान करना भी शनि देव को प्रसन्न करने का एक उपाय माना जाता है।
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image credit: herzindagi
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