Jyeshtha Month  how to perform surya graha shanti puja

Jyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ मास में सूर्य ग्रह शांति पूजा कैसे करें?

ज्येष्ठ मास, जिसे जेठ भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना है। यह मई-जून के महीनों में आता है। ज्येष्ठ मास का नाम भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय के नाम पर रखा गया है।
Editorial
Updated:- 2024-05-23, 10:43 IST

(Jyeshtha Month 2024) हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास को जेठ माह भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर में यह तीसरा महीना माना है। ज्येष्ठ मास का नाम ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय का नाम पर रखा गया है। इस महीने में स्नान, दान, और पुण्य कार्य करना शुभ माना जाता है। बता दें, ज्‍येष्‍ठ मास का आरंभ 24 मई से हो रहा है। इस माह में हनुमानजी की पूजा के साथ-साथ विष्‍णु जी पूजा का विशेष महत्व है। इस माह में पड़ने वाली सभी व्रत और त्योहारों का खास महत्व है। इस माह में सूर्यदेव की विधिवत पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस माह में जो व्यक्ति सूर्यदेव की विधिवत पूजा करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि ज्येष्ठ मास में सूर्य ग्रह शांति पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है।

ज्येष्ठ मास में सूर्य ग्रह शांति पूजा सामग्री

लाल कपड़ा, तांबे का लोटा, जल,लाल फूल, कुमकुम,चंदन,धूप, दीप,घी,गुड़,गेहूं,चावल,काले तिल,लाल तिल,नारियल, सुपारी,लौंग, इलायची, दालचीनी, फल आदि। 

ज्येष्ठ मास में सूर्य ग्रह शांति पूजा कैसे करें? 

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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य ग्रह व्यक्ति के स्वास्थ्य, मान-सम्मान, पिता, सरकारी नौकरी, यश आदि को प्रभावित करता है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है या उससे संबंधित कोई दोष है तो सूर्य ग्रह शांति पूजा करवाने से लाभ मिल सकता है। ज्येष्ठ मास में सूर्यदेव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

  • सबसे पहले सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित करें। फिर तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें। 
  • सूर्य देव को वस्त्र अर्पित करें और उन्हें लाल कपड़े को सूर्य देव की प्रतिमा पर चढ़ाएं।
  • अर्घ्य दें: तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, कुमकुम और चंदन मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • सूर्य देव को धूप और दीप दिखाएं। 
  • उन्हें घी, गुड़, गेहूं, चावल, काले तिल, लाल तिल, नारियल, सुपारी, लौंग, इलायची और दालचीनी को मिलाकर नैवेद्य तैयार करें। सूर्य देव को नैवेद्य अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है। 
  • उसके बाद कथा सुनें। 
  • अगर संभव हो तो ब्राह्मण को भोजन करवाएं।

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  • इस दिन दान-पुण्य करने से लाभ हो सकता है। 
  • आखिर में आरती जरूर करें। 

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पूजा के दौरान सूर्यदेव के मंत्रों का करें जाप

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  • ॐ जयन्ते सूर्यनारायणो घटाभृतः काश्यपोऽरुणः सविता पुरन्ध्रिः | हिरण्यगर्भो भगवान् दिवाकरः पञ्चजन्यः खगवाहनो विष्णुः ||
  • ॐ आदित्याय नमः

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Image Credit- herZindagi

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