Govardhan Puja 2023: क्यों की जाती है गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा? जानें कितनी परिक्रमा के बाद मनोकामना हो जाती है पूरी

इस साल गोवर्धन पूजा दिनांक 13 नवंबर, दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन श्री कृष्ण और गोवर्धन भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है। 

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Govardhan Parikrama: हिंदू धर्म में त्योहार की अपनी विशेषता है। वहीं दिवाली जिसे पंचपर्व कहा जाता है। इस त्योहार का आरंभ धनतेरस से होता है और समापन भाईदूज के साथ होता है। वहीं दिवाली के बाद और भाईदूज से पहले गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।

इस दिन गायों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गाय को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। वहीं, भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन के दिन इंद्र का मान-मर्दन कर गिरिराज का पूजन किया था। बता दें, इस साल गोवर्धन पूजा दिनांक 13 नवंबर, दिन सोमवार को मनाई जाएगी।

गोवर्धन पूजा के दिन श्री कृष्ण की पूजा का भी विधान है। इस दिन श्री कृष्ण और गोवर्धन भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है। साथ ही, इस दिन गोवर्धन परिक्रमा करने का भी खासा महत्व है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

क्या है गोवर्धन परिक्रमा का महत्व एवं लाभ?

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गोवर्धन पर्वत या यूं कहें कि गिरिराज जी वृंदावन से 22 किमी की दूरी पर स्थित हैं। भगवत्गीता (भगवतगीता पढ़ने के नियम) में इस बात का उल्लेख मिलता है कि गोवर्धन महाराज श्री कृष्ण से अलग नहीं हैं बल्कि उनका ही एक प्रतिरूप हैं। इसलिए ही गोवर्धन की पूजा करना एक प्रकार से श्री कृष्ण की पूजा के समान ही माना गया है।

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शास्त्रों में वर्णित है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हालांकि यह परिक्रमा सरल नहीं है। गोवर्धन की परिक्रमा सात कोस यानी की 21 किलोमीटर की है। विशेष बात यह है कि गोवर्धन परिक्रमा नंगे पैर की जाती है और इसे पूरा करने में 10 से 12 घंटे लग जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन परिक्रमा शुरू करने से पहले दूध की धार छोड़ी जाती है। यानि कि एक बर्तन में बारीख छेद किया जाता है और फिर उसमें दूध (कच्चे दूध के उपाय) भरा जाता है। फिर परिक्रमा शुरू करने से लेकर खत्म होने तक वह दूध की धार पूरी परिक्रमा के दौरान तिल-तिल कर बहती रहती है।

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मान्यता है कि दूध की धार के बिना परिक्रमा का फल आधा मिलता है। हालांकि यह उन लोगों द्वारा ज्यादा किया जाता है जो किसी विशेष मनोकामना के लिए परिक्रमा लगा रहे हों। अगर आप सिर्फ मन की इच्छा पूरी करने के लिए परिक्रमा करते हैं तब दूध की धार छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती है।

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असल में यह दूध गोवर्धन महाराज को अर्पित किया जाता है। माना यह भी जाता है कि जीवन में जब कोई व्यक्ति 7 परिक्रमायें गोवर्धन पर्वत की कर लेता है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। उस व्यक्ति की सात पीढ़ी तक तर जाती है और सभी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्री कृष्ण की कृपा मिलती है।

अगर आप भी गोवर्धन पूजा के दौरान या गोवर्धन पूजा के आसपास परिक्रमा लगाते हैं या लगाना चाहते तो इस लेख में दी गई अजन्करी के माध्यम से यह जान लें कि क्या है इसका महत्व और इससे मिलने वाले लाभ। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: shutterstock

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