क्या है गणेश जी की अलग-अलग प्रतिमाओं का मतलब?

किसी के घर एक मुखी गणेश स्थापित होंगे तो किसी के घर पंचमुखी गणेश। किसी के यहां गणेश जी की बैठी मुद्रा में प्रतिमा विराजित होगी तो किसी के घर पर खड़ी मुद्रा में। हर गणेश प्रतिमा का अपना एक महत्व है और उसका गूढ़ अर्थ भी है। 
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गणेश जी की पांच मुख वाली प्रतिमा

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पंच मुखी गणेश जी सुख, समृद्धि, संपन्नता, सौभाग्य और सिद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। घर में पंच मुखी गणेश जी की स्थापना करने से यह पांचों चीजें व्यक्ति को प्राप्त होती हैं और इन पांचों भावों का घर में वास बना रहता है।

गणेश जी की बैठी मुद्रा में प्रतिमा

गणेश जी की बैठी हुई मुद्रा में प्रतिमा घर लाना बहुत शुभ माना जाता है। यह उनके स्थाई निवास को घर में दर्शाता है। ऐसी प्रतिमा का अर्थ है कि गणेश जी रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ के साथ आपके घर में विराजमान हैं।

गणेश जी की चतुर्भुज रूप में प्रतिमा

गणेश जी की चतुर्भुज रूप में प्रतिमा यह दर्शाती है कि दिन के चारों प्रहर और चारों युगों में व्यक्ति को समय चक्र में घूमना पड़ता है और इसी समय चक्र से बचाता है आध्यात्म का ज्ञान। चतुर्भुज गणेश की स्थापना से बुद्धि बढ़ती है।

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गणेश जी की खड़ी मुद्रा में प्रतिमा

Different types of Ganesha photos and their meanings

गणेश जी की खड़ी हुई प्रतिमा को शुभ नहीं माना जाता है। शास्त्रों में यह बताया गया है कि किसी भीदेवी-देवताकी खड़ी हुई प्रतिमा उनके घर से जाने का प्रतीक मानी जाती है। ऐसे में गणेश प्रतिमा खड़ी नहीं होनी चाहिए।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर गणेश जी की कौन-कौन सी प्रतिमाओं का क्या है अर्थ और उससे मिलने वाले लाभ। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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