पुराने समय में जब घर बनाए जाते थे तो उन घरों में एक चीज हमेशा होती थी और वो है छज्जा। ऐसा माना जाता था कि घरों के बाहर तो छज्जा होना जरूरी है ही लेकिन घरों के अन्दर भी छज्जा होना चाहिए। इसी कारण से पहले समय के लोग घर निर्माण के दौरान भीतर छज्जा जरूर बनवाते थे। छज्जे को टांड भी कहा जाता है। इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्यों घर के भीतर बनने वाले छज्जे ज्यादातर उस तरह से बनाये जाते थे कि देखने पर लगे कि कोई दीवार आधी तंगी हुई है। हालांकि आज के समय में घरों में छज्जे देखने को नहीं मिलते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि आखिर क्यों पहले के घरों में छज्जे हुआ करते थे।
पुराने घरों के भीतर क्यों होते थे छज्जे या टांड?
पहले के समय में घर का निर्माण उस तरह से करवाया जाता था कि हर एक स्थान पर नव ग्रहों की कृपा बनी रहे और उस स्थान पर उससे जुड़े ग्रह का वास बना रहे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर पर जिन ग्रहों की दृष्टि सबसे अधिक पड़ती है वह राहु-केतु और शनि हैं।
जहां एक ओर घर का शौचालय या बाथरूम एवं छत राहु के प्रभाव को दर्शाते हैं और घर का ड्राइंग रूम केतु के असर को दिखलाता है।
ठीक वैसे ही, घर के भीतर मौजूद छज्जा शनि को प्रदर्शित करता है। शनि के क्रोध का भार घर के भीतर बना छज्जा ही झेल सकता है।
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ज्योतिष शास्त्र कहता है कि शनि के क्रोध को शांत करने, शनि देव की कृपा पाने और कुंडली में शनि को मजबूत बनाए रखने के लिए ही पहले समय में लोग अपने घरों के भीतर छज्जा बनवाया करते थे। साथ ही, छज्जा बनवाने से शनि दोष से भी मुक्ति मिल जाती थी।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर पुराने समय में क्यों होते हैं घर के भीतर छज्जे और क्या है इसका महत्व एवं ज्योतिषीय लाभ। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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