हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। एकादशी तिथि हर एक महीने में 2 बार मनाई जाती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दौरान पूजा पाठ करता है और व्रत उपवास करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। साल में 12 एकादशी तिथियां होती हैं और उन सभी का विशेष महत्व होता है। जिस साल मलमास या अधिकमास होता है उसमें इन तिथियों की संख्या 14 हो जाती है। किसी भी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है और इनमें पूजन अलग तरीके से किया जाता है। अगर आप भी सभी एकदशी तिथियों का व्रत रखती हैं तो आपके लिए ये जान लेना जरूरी है कि जुलाई के महीने में कौन सी दो एकादशी तिथियां पड़ेंगी और इन सभी तिथियों का क्या महत्व है। इन दोनों एकादशी तिथियों में विष्णु जी का पूजन किया जाता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानते हैं जुलाई में पड़ने वाली दोनों एकादशी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।
जुलाई 2025 में कौन-कौन सी एकादशी तिथियां हैं?
जुलाई के महीने में दो मुख्य एकादशी तिथियां पड़ रही हैं। पहली एकादशी देवशयनी एकादशी है जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि होती है। यह तिथि इस साल 06 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। वहीं दूसरी एकादशी तिथि कामिका एकादशी होगी जो कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाएगी। यह तिथि इस साल 21 जुलाई को पड़ेगी। ऐसा कहा जाता है कि ये दोनों ही एकादशी तिथियां जीवन में विशेष महत्व रखती हैं। इनमें से देवशयनी एकादशी के दिन से विष्णु जी चार महीने की निद्रा में चले जाते हैं और अपना कार्यभार कुछ समय के लिए भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस दौरान शादी-विवाह जैसे शुभ कामों की मनाही होती है।
देवशयनी एकादशी 2025 कब है?
देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ये तिथि आषाढ़ महीने में पड़ती है। इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई 2025, रविवार को रखा जाएगा।
- देवशयनी एकादशी तिथि आरंभ- 05 जुलाई 2025, शनिवार, शाम 06:58 बजे से
- देवशयनी एकादशी तिथि समापन - 06 जुलाई 2025, रविवार, रात्रि 09:14 बजे तक
- चूंकि उदया तिथि में देवशयनी एकादशी 06 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत रखना फलदायी होगा।
- देवशयनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त - 06 जुलाई, प्रातः 7.13 से दोपहर 12.26 तक
- देवशयनी एकादशी व्रत पारण समय - 07 जुलाई, प्रातः 5:29 से प्रातः 08:16 तक
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देवशयनी एकादशी का महत्व क्या है?
देवशयनी एकादशी को हिंदू धर्म में एक विशेष तिथि के रूप में पूजा जाता है। यह आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान विष्णु की चार महीने की निद्रा आरंभ हो जाती है। इस दिन से लेकर देवउठनी एकादशी तक किसी भी शुभ काम की मनाही होती है, लेकिन इस दौरान यदि आप पूजा-पाठ करती हैं तो इसके विशेष फल मिल सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है यही नहीं आपकी मनोकामनाओं को पूर्ति भी होती है। इस एकादशी का व्रत रखने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
कामिका एकादशी 2025 कब है?
इस साल सावन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली कामिका एकादशी का व्रत 21 जुलाई को रखा जाएगा। संयोग से इस दिन सोमवार भी है, इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखने से विष्णु जी के साथ शिव जी की भी विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
- कामिका एकादशी तिथि आरंभ - 20 जुलाई 2025, रविवार, दोपहर 12:13 से
- कामिका एकादशी तिथि समापन - 21 जुलाई 2025, सोमवार प्रातः 9.38 तक
- चूकि उदया तिथि के अनुसार कामिका एकादशी 21 जुलाई को पड़ेगी, इसलिए इसी दिन व्रत करना शुभ माना जाएगा।
- कामिका एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त- 21 जुलाई, प्रातः 9: 02 से प्रातः 10.45 तक
- कामिका एकादशी व्रत पारण समय - 22 जुलाई, मंगलवार, प्रातः 5.37 से प्रातः 7.05 तक
कामिका एकादशी का महत्व क्या है?
ऐसा माना जाता है कि कामिका एकादशी सावन के महीने में पड़ती है इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। इस दिन किया गया उपवास भगवान विष्णु के साथ शिव जी की कृपा पाने के लिए फलदायी माना जाता है। इस दिन यदि आप उपवास करें और पूजा के साथ एकादशी की कथा का पाठ करती हैं तो आपके जीवन में सदैव समृद्धि बनी रहती है और यही नहीं आपको इसके शुभ लाभ भी मिल सकते हैं। पितृ दोष की मुक्ति के लिए भी कामिका एकादशी का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है।
यदि आप भी एकादशी का व्रत करती हैं तो आपको इसकी सही तिथियों के बारे में यहां सही जानकारी दी गई है। यहां बताए गए शुभ मुहूर्त के अनुसार आपको पूजन करने की सलाह दी जाती है।
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