Chaiti Chhath Puja 2025: 4 दिवसीय चैती छठ पूजा आज से शुरू, यहां जानें नहाय-खाय से लेकर खरना-अर्घ्य और पारण की तिथि

चैती छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान आज यानी 1 अप्रैल 2025 से शुरू हो गया है। पहला दिन नहाय-खाय के बाद दूसरा दिन खरना और फिर 36 घंटे का निर्जला उवास शुरू हो जाएगा। इसके बाद, सीधा चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लिया जाएगा। इसी के साथ आइए नहाय-खाय से लेकर खरना-अर्घ्य और पारण की डेट के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
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Chaiti Chhath Puja date 2025: चैत्र मास में मनाई जाने वाली चैती छठ पूजा का शुभारंभ आज यानी 1 अप्रैल से हो गया है। यह 4 दिवसीय पर्व सूर्य की उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है, जिसे बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

चैती छठ का यह चार दिवसीय व्रत बेहद कठिन माना जाता है, जिसमें व्रती 36 घंटे तक निर्जल रहकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से हो जाती है। वहीं, इसका समापन पारण के साथ किया जाता है। यदि आप भी इस वर्ष चैती छठ पूजा का व्रत करने जा रहे हैं या इस पूजा में कहीं शामिल होना चाहते हैं, तो इस लेख में हम आपको पूरे चार दिनों की डेट के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। तो चलिए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से चैती छठ पूजा की संपूर्ण डेट के बारे में जान लेते हैं।

चैती छठ 2025 की तारीखें (Chaiti Chhath Puja Nahai Khai Kharna Surya Arghya and Paran Date 2025)

Chaiti chhath puja date 2025

  • 1 अप्रैल 2025, पहला दिन- नहाय-खाय (मंगलवार)
  • 2 अप्रैल 2025, दूसरा दिन - खरना (बुधवार)
  • 3 अप्रैल 2025, तीसरा दिन- सायंकालीन अर्घ्य (गुरुवार)
  • 4 अप्रैल 2025, चौथा दिन- उदयकालीन अर्घ्य व पारण (शुक्रवार)

चैती छठ पूजा 2025 के चारों दिन क्या-क्या होता है?

Nahay khai date

नहाय-खाय

चैती छठ पूजा का पहला दिन शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक होता है। इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करके सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इसमें कद्दू-भात और चने की दाल का विशेष महत्व होता है।

खरना विधि

खरना के दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़, चावल और दूध से बना प्रसाद (खीर) ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।

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संध्या अर्घ्य

Sandhya Arghya vidhi

इस दिन भक्त व्रत रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह छठ पूजा का सबसे खास दिन होता है, जब व्रती नदी या तालाब के किनारे परिवार और समाज के लोगों के साथ सूर्य देव की आराधना करते हैं।

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प्रातःकालीन अर्घ्य और पारण

चैती छठ का समापन सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद होता है। इसके बाद व्रती पारण करके अपना व्रत खोलते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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छठ पूजा का महत्व (Significance of Chaiti Chhath Puja)

Chhath puja importance in hindi

यह व्रत सूर्य देव की पूजा के लिए रखा जाता है, जिससे भक्तों को स्वास्थ्य, धन और संतान सुख की प्राप्ति होती है। 36 घंटे तक बिना पानी पिए व्रत रखना इस पूजा को सबसे कठिन बनाता है। इस पूजा में गंगा, नदी या जलाशय के किनारे पूजा की जाती है, जिससे जल स्रोतों के महत्व का संदेश मिलता है। छठ पूजा समाज को जोड़ने वाला पर्व है, जहां सभी जाति और वर्ग के लोग एक साथ पूजा करते हैं।

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Image credit- Freepik


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